यात्रियों को खड़े होने तक की जगह नहीं
जिस भवन में रेलवे आरक्षण कार्यालय स्थानांतरित हुआ है, उसमें यात्रियों को कतारबद्ध होने के लिए भी जगह नहीं है। कार्यालय का भवन अत्यंत छोटा है, जिसमें पेयजल, बाथरूम और यात्रियों को बैठने की व्यवस्था नहीं है। दोनों विंडो के बाहर छोटा सा बरामदा है, जिसमें बड़ी मुश्किल से 15-20 यात्री खड़े हो सकते हैं।
जिस भवन में रेलवे आरक्षण कार्यालय स्थानांतरित हुआ है, उसमें यात्रियों को कतारबद्ध होने के लिए भी जगह नहीं है। कार्यालय का भवन अत्यंत छोटा है, जिसमें पेयजल, बाथरूम और यात्रियों को बैठने की व्यवस्था नहीं है। दोनों विंडो के बाहर छोटा सा बरामदा है, जिसमें बड़ी मुश्किल से 15-20 यात्री खड़े हो सकते हैं।
यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जा रही विंडो पर रोजाना 5 से 6 लाख के टिकट बिकते हैं, लेकिन रेलवे की ओर से यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। तत्काल टिकट के दौरान यात्रियों को और ज्यादा परेशानियां झेलनी पड़ती है। विंडो के बाहर तत्काल यात्रियों को ठीक से खड़े रहने को भी जगह नहीं मिलती है। औद्योगिक इकाइयों के कारण दानह में उत्तरप्रदेश, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, ओडिसा, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित देशभर के लोग बसे हुए हैं।
सिलवासा में आरक्षण कार्यालय की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई वतन जाने के लिए प्रवासी रेलों पर ज्यादा निर्भर हैं। उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक और कर्मचारी रेल टिकट के लिए सिलवासा आरक्षण कार्यालय पहुंचते हैं। सिलवासा में आरक्षण कार्यालय की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी। यहां सवेरे की पाली सवेरे 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक तथा दूसरी पाली दो बजे से सायं 8 बजे तक चलती है।
दूसरी पाली में स्टॉफ की कमी बताकर कार्यालय कई बार बंद कर दिया जाता यात्रियों का कहना है कि पहली पाली में दोनों विंडो नियमित दोपहर 2 बजे तक चलती हैं, लेकिन दूसरी पाली में स्टॉफ की कमी बताकर कार्यालय कई बार बंद कर दिया जाता है।