e-cycle : बदलते ज़माने के साथ साइकिल के स्वरूप में भी बदलाव होने लगा है। आज तेल के दाम आसमान को छूने लगे है। इन दोनो मुद्दों को ध्यान में रख अठवा लाइंस स्थित स्केट कॉलेज के इलेक्ट्रिकल विभाग के प्राध्यापक और उनके तीन विद्यार्थियों ने मिलकर अनोखी e-cycle का आविष्कार किया है। जो इन दिनों कॉलेज परिसर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इंजीनियरिंग संकाय की अन्य सभी ब्रांच के प्राध्यापक और विद्यार्थी भी इस e-cycle को देखने के लिए इलेक्ट्रिकल विभाग में आ रहे है।
सूरत
Published: May 21, 2022 04:15:12 pm
e-cycle : आज भारत के साथ देश के कई देशों में तेल के दाम दिन प्रतिदिन आसमान को छूते ही जा रहे है। तेल के दामों को कम करना या फिर उस पर अंकुश लगा पाना मुश्किल हो रहा है। साथ ही बढ़ती वाहनों की संख्या के चलते प्रदूषण की भी मात्रा बढ़ती जा रही है। इसलिए आज दुनिया पेट्रोल और डीजल वाहनों के सामने अन्य विकल्प की तलाश कर रही है। इस तलाश का हाल एक नया विकल्प इलेक्ट्रिकल वाहन सामने आया है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन भी महंगे होने पर लोगो के बजट से दूर है। इसे ध्यान में रख स्केट कॉलेज के इलेक्ट्रिकल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.हितेश मेहता के मार्गदर्शन में अंतिम वर्ष इलेक्ट्रिकल विभाग के विद्यार्थी विकास मितल, जयपाल राजपुरोहित और जयकुंज सिद्धपरिया ने मिलकर e-cycle का आविष्कार किया है। प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने बताया कि गुजरात टेक्नोलॉजिकल के प्रोजेक्ट के अंतर्गत इस e-cycle का आविष्कार किया गया है। जिसे बनाने में 3 माह का समय और 45 हजार का खर्च आया है। e-cycle का बड़े स्तर पर प्रोडक्शन किया जाए तो एक e-cycle की लागत 15 से 18 हजार हो सकती है।
- सारी तकनीक कॉलेज में ही की तैयार:
प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने बताया कि इस e-cycle की सारी तकनीक कॉलेज में ही तैयारी की गई है। इसमें चाइना का अन्य किसी भी देश का कोई उपकरण का उपयोग नहीं किया गया है। पूरी e-cycle मेड इन इंडिया कांसेप्ट पर तैयार की गई है। इस तकनीक को पेटेंट करवाना है इसलिए इसकी तकनीक के विषय पर ज्यादा विस्तृत से जानकारी नहीं दे पाएंगे। तकनीक कॉलेज प्रशासन को बताई गई इसलिए कॉलेज ने इस प्रोजेक्ट के लिए पूरा फंड दिया है।
- एक स्विच में हो जाती है शुरू, आसान है चार्ज करना:
यह e-cycle हाथो में ब्रेक के पास दिए गए एक स्विच से शुरू हो जाती है। इस चार्ज करना भी आसान है। ई -साइकिल को जब ब्रेक लगाई जाती है तो वह रुकने के बाद अपने आप री-जनरेशन मोड पर चली जाती है।
- मोबाइल से स्पीड होती है कंट्रोल:
e-cycle को मोबाइल से जोड़ा गया है। ब्लिंक एप्लीकेशन के माध्यम से इंटरनेट of थिंक्स (आईओटी) के जरिए e-cycle के स्पीड को नियंत्रित किया जा सकता है। इसे एक बार जो स्पीड पर सेट किया जाए उसी स्पीड पर e-cycle चलती है। साथ ही साइकिल कहा है उसका भी लोकेशन पता लगाया जा सकता है। जिससे अभिभावक भी अपने बच्चे की गति और वो कहां है उस जगह को जान सके।
- आग लगने का खतरा नहीं:
प्राध्यापक और विद्यार्थियों ने बताया कि इन दिनों कई electric bike में आग लग जाने की घटना भी बढ़ने लगी है। e-cycle बनाते समय इस पर खास ध्यान रखा गया है। कम एम्पियर में यह चार्ज हो जाती है। हिस्से बैटरी के ब्लास्ट होने का खतरा नहीं है। इस चार्ज करने में करंट भी कम उपयोग होता है।
- सिंगल चार्ज में 45 किमी का सफर:
e-cycle एक सिंगल चार्ज में कम से कम 40 से 45 किमी का सफर कर सकती है। साथ ही यह चलते समय अपने आप भी चार्ज होती रहती है। ब्रेक लगाने पर भी री-चार्जिंग मोड पर चली जाती है। इसलिए चलाने वाला एक सिंगल चार्ज में अधिक से अधिक किमी साइकिल को चला सकता है।
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