गुजरात में कई साल पहले बोझ बिना पढ़ाई का आदेश जारी किया गया था, लेकिन इस आदेश का भी पालन नहीं हुआ। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय भी इस नियम पर ध्यान नहीं दे रहा है। विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने के लिए अभिभावक निजी स्कूलों को प्राथमिकता देते हैं। निजी स्कूलों ने अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए बच्चों को मशीन बना रखा है। बच्चों पर पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ डाला जाता है। अभिभावकों से तगड़ी फीस वसूली के साथ कताबों पर भी अतिरिक्त खर्च करवाया जाता है। किताबों के बोझ से बच्चों की कमर झुक जाती है।
गुजरात बोर्ड और सीबीएसइ बोर्ड ने बोर्ड की किताबों से ही पढ़ाने का आदेश दे रखा है, लेकिन कोई निजी स्कूल इस आदेश का पालन नहीं करता। निजी स्कूल अभिभावकों को मनपसंद निजी प्रकाशन की किताबें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। इस मामले में कई बार अभिभावकों ने शिकायत की, लेकिन किसी निजी स्कूल पर आज तक किताबों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। किताबें खरीदने पर अभिभावकों को 5 हजार से 10 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं।