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ELECTION 2019 : ६८ साल में लोकतंत्र के हर बदलाव का साक्षी बना सूरत

locationसूरतPublished: Mar 19, 2019 07:11:23 pm

इतिहास के झरोखे से : सूरत की संसदीय सीट 1951 में आई थी अस्तित्व मेंपहले लोकसभा चुनाव में 8 लाख 61 हजार से ज्यादा ने किया था मतदान

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ELECTION 2019 : ६८ साल में लोकतंत्र के हर बदलाव का साक्षी बना सूरत

सूरत.

आजादी के बाद पहली बार सूरत संसदीय सीट 1951 में अस्तित्व में आई थी। देश के पहले लोकसभा चुनाव में सूरत संसदीय सीट के लिए 8 लाख, 61 हजार से अधिक मतदाताओं ने वोट डाले थे। अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों के दौरान 2014 के चुनाव में सूरत सीट के लिए सबसे अधिक तथा 1999 के चुनाव में सबसे कम मतदान दर्ज हुआ था। बीते ६८ वर्षों में सूरत के मतदाता लोकतंत्र के हर बदलाव के साक्षी भी रहे हैं।
चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में टिकट वितरण की गतिविधियां तेज हो गई हैं। सूरत संसदीय सीट पर प्रत्याशी के चयन के लिए शुक्रवार को भाजपा कार्यालय में निरीक्षकों समक्ष मौजूदा सांसद दर्शना जरदोश, शहर भाजपा अध्यक्ष नितिन भजियावाला समेत 16 जनों ने दावेदारी पेश की। 1947 में आजादी मिलने के बाद वर्ष 1951 में पहली बार सूरत लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी। पहले चुनाव में सूरत लोकसभा सीट पर 57.80 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके बाद समय-समय पर सीमांकन बदलता रहा।
अब तक देश में 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। इस बार 23 अप्रेल को 17वीं बार लोकसभा चुनाव होगा। अब तक हुए 16 चुनावों में सूरत संसदीय सीट पर वर्ष 2014 में सर्वाधिक 82.63 प्रतिशत मतदान हुआ था।

2004 में सर्वाधिक मतदाता
1951 से लेकर 2014 के चुनावों तक सीमांकन में काफी बदलाव हुआ। 1957 के चुनाव में सूरत संसदीय सीट पर 3 लाख, 74 हजार 614 मतदाता दर्ज हुए। 1957 में सबसे कम मतदाता दर्ज किए गए थे। फिर यह आंकड़ा बढ़ता गया। 2004 के चुनाव में सर्वाधिक 23 लाख, 77 हजार, 198 मतदाता दर्ज हुए। इसमें 13 लाख, 2 हजार 226 पुरुष और 10 लाख, 74 हजार 614 महिला मतदाता दर्ज थे।

1989 से भाजपा का राज
1952 में कन्हैयालाल देसाई सूरत सीट पर पहले सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद 1952 में बहादुरभाई पटेल सासंद बने। 1957 से 197१ तक इंडियन नेशनल कांग्रेस से मोरारजी देसाई सांसद रहे। मोरारजी देसाई 1971 में इंडियन नेशनल कांग्रेस (ओर्गेनाइजेशन) से सांसद रहे। फिर मोरारजी देसाई 1977 में जनता पार्टी से सांसद बने। वह 1977 से 1779 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। 1980 और 1984 में इंडियन नेशनल कांग्रेस से सी.डी.पटेल सांसद बने। फिर 1989, 1991, 1996,1998,1999 और 2004 में काशीराम राणा भाजपा से छह बार सांसद रहे। इसके बाद 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में दर्शना जरदोश भाजपा से सांसद बनी।
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