scriptमार्च में कट-पॉलिश्ड हीरो का निर्यात बढ़ा | Exports of cut-polished hero increased in March | Patrika News

मार्च में कट-पॉलिश्ड हीरो का निर्यात बढ़ा

locationसूरतPublished: Apr 28, 2018 09:57:51 pm

Submitted by:

Pradeep Mishra

विदेश में मांग से उद्यमियों को अच्छे ऑर्डर

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सूरत

जीएसटी से जूझ रहे हीरा उद्यमियों के लिए मार्च अच्छा बीता। फरवरी में कट और पॉलिश्ड हीरों का निर्यात घटने के बाद मार्च में इनका निर्यात 8.48 प्रतिशत बढ़ गया।
जैम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के सूत्रों के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 के मार्च में 1867.43 मिलियन यूएस डॉलर के हीरों का निर्यात हुआ था, जिसके मुकाबले वर्तमान वित्तीय वर्ष 2018-19 के मार्च में 2025 मिलियन यूएस डॉलर के हीरों का निर्यात हुआ। गोल्ड ज्वैलरी के निर्यात में भी 47.80 प्रतिशत का इजाफा हुआ। पिछले साल मार्च में 660.63 मिलियन यूएस डॉलर के मुकाबले इस साल मार्च में 976.43 मिलियन यूएस डॉलर की गोल्ड ज्वैलरी का निर्यात हुआ। हालांकि गोल्ड कोइन के निर्यात में 89.11 प्रतिशत की भारी गिरावट आई। पिछले साल के मार्च के 645.64 मिलियन यूएस डॉलर के मुकाबले इस मार्च में 71.27 मिलियन यूएस डॉलर के गोल्ड कोइन का निर्यात हो सका। इसके अलावा सिल्वर ज्वैलरी के निर्यात में 92 प्रतिशत और पर्ल में 97 प्रतिशत की कमी आई। हीरा उद्यमी महेन्द्र नावडिय़ा ने बताया कि विदेशों में इन दिनों व्यापार अच्छा है। व्यापारियों की ओर से कट और पॉलिश्ड हीरों की मांग होने के कारण स्थानीय उद्यमियों के पास अच्छे ऑर्डर हैं। इससे मार्च में हीरों का निर्यात बढ़ा। जैम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पूर्व चेयरमैन विपुल शाह ने बताया कि मार्च में चीन, अमरीका सहित सभी देशों में हीरों की अच्छी मांग रहने से हीरों का निर्यात बढ़ा।

विकास पर करोड़ों बहाए, फिर भी बिन पानी सब सून…

सीमा विस्तार के बाद आसपास के कई गांव सूरत शहर में शामिल हुए थे। इन गांवों के तालाबों को मनपा लेक गार्डन के तौर पर विकसित कर सूरतीयों को सैर-सपाटे के नए ठिकाने देने का दावा कर रही है। ऐसे एक-एक गार्डन के विकास पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मनपा ने पाल तालाब को भी लेक गार्डन के तौर पर विकसित करने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। करोड़ों रुपए खर्च कर तालाब के आसपास के क्षेत्र को तो हरा-भरा कर दिया गया, लेकिन तालाब आज भी सूखा पड़ा है। पानी के संकट से जूझ रहे सूरत के इस तालाब में पानी कब और कहां से आएगा, इसका जवाब मनपा प्रशासन के पास भी नहीं है।
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