-मानों राजस्थान उतर आता है होली के 10-15 दिन तक सूरत में मानों पूरा राजस्थान ही उतर आता है। बीकानेर के चौक-चौबारों पर चंग की थाप पर गूंजते फाग और होली के रसियों की लचकती कमर व उठते हाथ ही नहीं शेखावाटी का एक गायक के सुर में सबके सुर मिलाकर फाग व लोक गीत को तेज और ऊंची आवाज में भी सुरीला बना देना। उधर, अनोखी वेशभूषा में मारवाड़ के पाली, जालोर, सिरोही की गेर खेलते लोग लूर लेती महिलाओं को देख लगता है सूरत में राजस्थान साकार हो गया है।
-परम्परा का भी निवार्ह पूरा गत 28 वर्षों से होली पर चार दिवसीय फागोत्सव मनाता आ रहा राजस्थान युवा संघ धार्मिक-सामाजिक परम्परा का पूरा निर्वाह करता है। 10-12 दिन पहले डांडारोपण कर हनुमानजी महाराज को मनाना और फागोत्सव के पहले दिन बीच मंच पर बड़ी मेज पर रखे नगाड़े का विधिवत पूजन और फिर धम-धम की धमक से मंच पर राजस्थानी लोक संस्कृति के बिखरते बहुरंग। मंच पर प्रस्तुति देने वालों में राजस्थान के नामी-गिरामी लोक कलाकार शामिल होते हैं।
-एक-दूसरे से मेल-मिलाप का दौर सूरत में राजस्थान के लगभग सभी जिलों के प्रवासी वर्षों से रहते हैं और होली पर गांव-देस नहीं जाने का मलाल रखने के बजाय वे सब यहीं शहर, जिला-कस्बा स्तर पर होली स्नेहमिलन समारोह आयोजित कर एक-दूसरे से मेल-मिलाप कर लेते हैं। यह दौर भी लम्बा चलता है और इसमें लोक कला के साथ-साथ राजस्थानी 'फावणेÓ भी विशेष रूप से आमंत्रित किए जाते हैं। इनमें राजस्थान के नेता, संत, विशिष्टजन समेत अन्य लोग शामिल होते हैं।
-दोहरी खुशी का अवसर तीन साल विराम के बाद इस बार होली पर सूरत में कई रंग फागोत्सव में बिखरने की जानकारी मिलने से खुशी है। गुजरात की गौरवमयी धरा पर राजस्थान युवा संघ के माध्यम से राजस्थानी लोक संस्कृति को जीवंत करने की परम्परा प्रारम्भ करने वालों में शामिल होने की खुशी भी सदैव रहेगी।
राजेंद्रसिंह शेखावत, संस्थापक प्रमुख, राजस्थान युवा संघ।