अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार ने जापान से करोड़ों का कर्ज लिया है और तय समय सीमा में बनाने के लिए प्रयासरत है। वहीं, नवसारी जिले से होकर निकलने वाली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जिले के सैंकड़ों किसानों की जमीन अधिग्रहण की जानी है। इस प्रोजेक्ट से प्रभावित किसान अपनी जमीन देने को तैयार नहीं हंै। किसानों का आरोप है कि जमीन अधिग्रहण एक्ट 2013 का अमल नहीं किया जा रहा है। बुलेट ट्रेन सिर्फ गुजरात में नहीं, बल्कि संघ प्रदेश व महाराष्ट्र में भी चलेगी। इसलिए गुजरात सरकार को केन्द्रीय जमीन अधिग्रहण एक्ट 2013 के अनुसार संपादन करना चाहिए।
प्रोजेक्ट के लिए गठित एजेन्सी का कहना है कि किसानों को चार-चार नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन कई किसानों को नोटिस मिले ही नहीं हैं। किसान जमीन की बाजार कीमत से चार गुना दाम देने की मांग कर रहे हैं। कुछ किसान किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देने का मन बना चुके हैं। इस बीच प्रोजेक्ट के तहत किसानों को मिले नोटिस में 21 जून तक किसानों ने आपत्ति नहीं जताई, तो जमीन संपादन कर लेने की बात कही गई थी। इसे लेकर मंगलवार को किसानों ने नवसारी-जलालपोर तालुका खेडूत संघ की अगुवाई में जिला कलक्टर डॉ. एमडी मोडिया समेत जमीन संपादन अधिकारी एवं प्रांत अधिकारी नेहा सिंह को 14 मुद्दों का आपत्तिपत्र सौंपा है।
हमें जमीन नहीं देनी हमें अब तक चार नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन 99 प्रतिशत किसानों को नोटिस मिले ही नहीं हैं। आखिरी नोटिस में बताया गया कि 21 जून तक अगर आपत्ति है और नहीं दिखाई, तो जमीन संपादन कर लिया जाएगा। हमारा ग्रीन बेल्ट है और उसे छेड़ा गया है। 2013 के लैंड एक्वीजीशन एक्ट का दुरुपयोग किया गया है। हमें जमीन देनी ही नहीं है।
सिद्धार्थ देसाई, प्रभावित किसान, नवसारी
बुलेट ट्रेन का विरोध करते हैं हम लोग बुलेट ट्रेन का विरोध करते हैं। इस प्रोजेक्ट से किसानों की कीमती जमीन जा रही है। कानून अनुसार सरकार काम नहीं करना चाहती, तो वह सरकार ही हमें नहीं चाहिए। 2013 के जमीन अधिग्रहण कानून को साइड में रखकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर निर्णय लिया जा रहा है, तो किसानों को न्याय कहां से मिलेगा। कोई तटस्थ पंच के जरिए सर्वे किया जाना चाहिए। किसानों की कोई सुनता ही नहीं है। इसलिए आज कलक्टर एवं जमीन संपादन अधिकारी को आपत्तिपत्र दिया है।
सीपी नायक, अध्यक्ष, नवसारी-जलालपोर तालुका खेडूत संघ, नवसारी