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ओलपाड में किसानों का प्रदर्शन, 40 से अधिक हिरासत में

locationसूरतPublished: Sep 25, 2020 06:54:45 pm

कृषि सुधार विधेयकों के विरोध में जमा हुए किसान, प्रशासनिक अधिकारियो को ज्ञापन सौंपा, कृषि विधेयकों को काला कानून करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग

ओलपाड में किसानों का प्रदर्शन, 40 से अधिक हिरासत में

ओलपाड में किसानों का प्रदर्शन, 40 से अधिक हिरासत में

बारडोली. कृषि सुधार विधेयकों के विरोध में जिले के किसानों ने भी शुक्रवार को अपना समर्थन दर्ज कराया। उन्होंने प्रदर्शन कर कृषि विधेयकों को काला कानून करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की। किसानों ने जिलेभर में तहसील स्तर पर ज्ञापन सौंपे। किसानों के समर्थन में आई कांग्रेस ने बारडोली में एसडीएम को ज्ञापन देकर काले कानून को रद्द करने की मांग की। सूरत जिला खेडुत समाज ने पलसाणा तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ओलपाड में प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया।
सूरत जिला खेडुत समाज ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में केंद्र सरकार के कृषि सुधार बिलों को मंजूरी नहीं देने की मांग करते हुए कहा कि यह विधेयक कानून बने तो किसानों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। देश के कुल किसानों में 86 फीसदी छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनकी रोजीरोटी खेती से जुड़ी हुई है। ऐसे किसानों को निजी कंपनियों के हवाले कर दिया गया तो किसानी और किसान दोनों बर्बाद हो जाएंगे।
ज्ञापन में कहा गया है कि नए कानून में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान नहीं है। साथ ही किसानों को खेती के लिए खाद, बीज, सिंचाई की बिजली और अन्य योजनाओं में दी जा रही सबसिडी भी बंद हो जाएगी। पलसाणा में सूरत जिला खेडुत समाज के प्रमुख परिमल पटेल, ओलपाड में गुजरात खेडुत समाज के प्रमुख जयेश पटेल और दक्षिण गुजरात खेडुत समाज के प्रमुख रमेश पटेल की अगुवाई में किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियो को ज्ञापन सौंपा।
पुलिस ने ओलपाड में कृषि बिल के विरोध में सड़क पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं समेत 40 से अधिक किसानों को हिरासत में लिया। गुजरात खेडुत समाज के प्रमुख जयेश पटेल ने कहा कि इस बिल को लेकर किसानों में काफी रोष व्याप्त है। गुजरात में जगह-जगह किसानों ने बिल के विरोध में प्रदर्शन किया। उन्होंने इस बिल को काला कानून बताया और कहा कि इससे किसान बर्बाद हो जाएंगे। उधर बारडोली में गुजरात प्रदेश कांंग्रेस एससी सेल के प्रमुख तरुण वाघेला के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन देकर विधेयक रद्द करने की मांग की।
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