FEE ISSUE : फीस भरने पर ही दिया जा रहा है स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट
अभिभावक परेशान, डीइओ से मदद नहीं मिलने का आरोप

सूरत.
अभिभावक इन दिनों अपने बच्चों के स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट को लेकर परेशान हो रहे हैं। फीस जमा होने पर ही स्कूल सर्टिफिकेट देने की जिद पर अड़े हुए हैं। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत करने के बावजूद उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही है।
फीस का विवाद अभिभावकों की परेशानी का कारण बना हुआ है। कई अभिभावकों ने फीस को लेकर विद्यार्थियों का अन्य स्कूलों में प्रवेश करवा दिया है। प्रवेश देने वाले स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट मांग रहे हैं। अभिभावक जब पहले वाले स्कूल में लीविंग र्सर्टिफिकेट लेने जाते हैं तो उनसे फीस की मांग की जाती है। अभिभावक एफआरसी की ओर से तय फीस देने की बात कर रहे हैं, लेकिन स्कूल उनकी ओर से तय फीस जमा करने की जिद पर अड़े हैं। कई अभिभावक स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट की समस्या को लेकर रोज जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
हंगामा होता रहता है
निजी स्कूलों में फीस को लेकर अभिभावक और संचालकों के बीच हंगामा होता रहता है। प्रशासन निर्णय तो सुना देता है, लेकिन अमल नहीं करवा पाता है। अभी तक शैक्षणिक सत्र 2017-18 और 2018-19 की प्रोविजनल फीस का विवाद थमा नहीं है। एफआरसी ने कई स्कूलों की प्रोविजनल फीस जारी कर दी है। सभी को इसका पालन करने का भी निर्देश दे दिया गया है। आज भी स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं। हाल ही में एफआरसी ने दक्षिण गुजरात के 139 स्कूलों की प्रोविजनल फीस तय कर सूची जारी की। इसके दूसरे ही दिन स्कूल के खिलाफ जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत की गई कि एफआरसी की ओर से तय प्रोविजनल फीस का स्कूल पालन नहीं कर रहे हैं। फीस नहीं भरने पर परिणाम नहीं दिया जा रहा है। यह फीस का मामला शैक्षणिक सत्र 2017-18 और शैक्षणिक सत्र 2018-19 का है। नए शैक्षणिक सत्र 2019-20 की प्रोविजनल फीस को लेकर स्कूलों को आवेदन करने का निर्देश दिया गया है।
संचालक मानने को तैयार नहीं
सूरत एफआरसी ने दक्षिण गुजरात की कई स्कूलों की प्रोविजनल फीस तय कर दी है। इन स्कूलों की सूची भी जारी की गई है। निजी स्कूल संचालक इसे मानने को तैयार नहीं हैं। मनमानी फीस वसूली जा रही है। अभिभावकों को लगा था कि उन्हें कुछ राहत मिलेगी, उन्हें फीस वापस की जाएगी या नए शैक्षणिक सत्र की फीस में उसे समायोजित किया जाएगा। ऐसा नहीं हो रहा है। कई अभिभावकों ने एफआरसी की ओर से तय फीस के अनुसार फीस भरी। स्कूल की ओर से उन्हें अतिरिक्त फीस भरने को कहा जा रहा है। अतिरिक्त फीस नहीं भरने वाले अभिभावकों को बच्चों का परिणाम नहीं दिया जा रहा है। एक स्कूल ने तो बस सेवा तक बंद कर दी है। एक अभिभावक ने इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की है। फीस और प्रोविजनल फीस को लेकर बार-बार जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की जा रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। दूसरी ओर एफआरसी का कहना है कि उसका काम फीस तय करना है। स्कूलों पर कार्रवाई करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
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