scriptपहले एनजीटी ने फटकारा, अब  निदेशकों को जीपीसीबी ने दिया नोटिस | First NGT cracks up, now notice given by GPCB to directors | Patrika News
सूरत

पहले एनजीटी ने फटकारा, अब  निदेशकों को जीपीसीबी ने दिया नोटिस

 
वापी ग्रीन एन्वायरो के 11 निदेशकों को नोटिस मिलने से हडक़म्पसीइटीपी की खराब कार्यप्रणाली से नाराजगी

सूरतJun 04, 2019 / 10:37 pm

Sunil Mishra

patrika

पहले एनजीटी ने फटकारा, अब  निदेशकों को जीपीसीबी ने दिया नोटिस


वापी. गत दिनों एनजीटी की फटकार के बाद एक्शन मोड में आए गुजरात प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने वापी ग्रीन एन्वायरो के 11 निदेशकों को नोटिस जारी कर हडक़ंप मचा दिया है। सभी को 15 दिन में इसका जवाब देने को कहा गया है। सीइटीपी की खराब कार्यप्रणाली से नाराज होकर जीपीसीबी ने यह नोटिस दिया है। वापी सीइटीपी के आउटलेट और इनलेट मानक स्तर के विपरीत आ रहा है। दूसरी तरफ एनजीटी की फटकार और सीइटीपी के नियमों का लगातार उल्लंघन करने की शिकायत पर गांधीनगर जीपीसीबी के लीगल विभाग ने सीइटीपी और ग्रीन एन्वायरो के सभी 11 निदेशकों को नोटिस दिया है। इसमें कहा गया है कि सीइटीपी का आउटलेट और इनलेट निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं रहने से दमणगंगा नदी प्रदूषित हो रही है, जो एनजीटी के निर्देश के बाद भी पर्यावरण नियमों के उल्लंघन का मामला बनता है। ऐसे में उन पर कार्रवाई क्यों न की जाए। नोटिस में कहा गया है कि इस मामले में एक से पांच साल की सजा और एक लाख तक का जुर्माना लगा जा सकता है। वापी ग्रीन एन्वायरो के 11 निदेशकों में वीआइए के अलावा सरकार द्वारा नियुक्त लोग भी शामिल हैं।
पौधे लगाकर मनाएंगे पर्यावरण दिवस
सिलवासा. आदिवासी विकास उत्कर्ष संघ ने पर्यावरण दिवस पर बुधवार को बिन्द्राबीन ताडक़ेश्वर महादेव मंदिर के पास आदिवासी सम्मेलन रखा है। इसमें आदिवासी हित व कल्याण पर खास चर्चा होगी। सम्मेलन में पौधारोपण करके लोगों का ध्यान हरियाली बढ़ाने के लिए आकर्षित किया जाएगा। आदिवासी किसानों को पेड़ों की पौध वितरित की जाएगी। संघ के अध्यक्ष अनिल पटेल ने बताया कि सम्मेलन में मांदोनी, सिंदोनी, दुधनी, कौंचा, खानवेल, आंबोली, सुरंगी, दपाड़ा, रखोली, रांधा, किलवणी ग्राम पंचायत के आदिवासी नेता एवं समाजसेवी हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन में आदिवासियों के हित एवं कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा की जाएगी। प्रदेश में 60 प्रतिशत आदिवासी निवास करते हैं। यहां का मुख्य व्यवसाय खेती है। उद्योगों के कारण रोजगार के साधन बढ़े हैं, लेकिन आदिवासियों का विकास नहीं हुआ है। विकास की योजनाएं कछुया चाल से बढ़ रही हैं। सभा में आदिवासी नेता इन विकास योजनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

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