पश्चिम रेलवे के मुम्बई रेल मंडल में मुम्बई के बाद आय के मामले में सूरत दूसरे नम्बर पर है। सबसे अधिक व्यस्त स्टेशनों में शामिल है इस स्टेशन से प्रतिदिन एक लाख से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती है। जिन स्टेशनों को वल्र्ड क्लास स्टेशन बनाने की योजना है, उनमें सूरत स्टेशन शामिल है। सूरत स्टेशन पर ट्रेनों के लिए सिर्फ चार प्लेटफॉर्म हंै। राजस्थान पत्रिका ने समय-समय पर इन चारों प्लेटफॉर्म के शेड काफी पुराने होने तथा बारिश के सीजन में पानी टपकने की समस्या से यात्रियों को होने वाली परेशानी की खबर प्रकाशित की। पश्चिम रेलवे ने प्लेटफॉर्म संख्या चार को शेड से कवर करने के लिए एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को कार्य सौंपा है।
सूत्रों ने बताया कि करीब छह-साढ़े छह करोड़ रुपए की लागत से प्लेटफॉर्म संख्या चार पर पांच सौ मीटर लम्बा शेड तथा उधना की ओर बने फुटओवर ब्रिज पर दोनों ओर से स्टेशन से बाहर निकलने का रास्ता बनाने का कार्य पूरा किया जाएगा। सोमवार को ठेकेदार ने फुटओवर ब्रिज पर लम्बे हनुमान रोड की ओर रास्ता देने के लिए कार्य शुरू कर दिया। रेलवे ने ठेकेदार को शेड तथा फुटओवर ब्रिज पर रास्ते का कार्य दो से ढाई महीने में पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि एक ट्रेन की लम्बाई 520 से 550 मीटर होती है। स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म के शेड पांच सौ मीटर या इससे कुछ कम होते हैं। सूरत के प्लेटफॉर्म संख्या चार पर सिर्फ मध्य में शेड की व्यवस्था है। गर्मी तथा मानसून के दौरान इस प्लेटफॉर्म पर यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
वेकेशन में बढ़ सकती है परेशानी प्लेटफॉर्म संख्या चार से पांच दिन सूरत-छपरा ताप्ती गंगा एक्सप्रेस तथा दो दिन सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस चलती हैं। इन ट्रेनों में सैकड़ों यात्री जनरल टिकट पर जुर्माना भरकर यात्रा करने को मजबूर हैं। इनके जनरल कोच में बैठने के लिए यात्रियों की कतार लगती है। वेकेशन के दौरान प्लेटफॉर्म पर पैर रखने तक की जगह नहीं होती। ऐसे में शेड का कार्य शुरू होने से यात्रियों की परेशानी बढ़ सकती। अधिकारियों ने बताया कि शेड बदलने का कार्य टुकड़ों में किया जाएगा। पुराने शेड को उतारने के साथ-साथ नया शेड लगाने का कार्य किया जाएगा। कार्य हिस्सों में किया जाएगा, जिससे यात्रियों को ज्यादा परेशानी न हो।
शेड में अब तक नहीं लगे पंखे बारिश के सीजन में सूरत स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या चार पर अगस्त 2018 तक ताप्ती गंगा एक्सप्रेस तथा सूरत-भागलपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस के जनरल कोच में बैठने वाले यात्रियों के लिए छत की कोई व्यवस्था नहीं थी। बारिश में भीगते यात्रियों के बारे में राजस्थान पत्रिका ने पिछले साल ‘ताप्ती गंगा एक्सप्रेस के जनरल कोच में चढऩा है तो छतरी या प्लास्टिक पास रखना जरूरी’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।
इसके बाद मुम्बई रेल मंडल के पूर्व डीआरएम संजय मिश्रा ने प्लेटफॉर्म पर वडोदरा तथा उधना की ओर जनरल कोच के सामने शेड बनाने को मंजूरी दी थी। दोनों छोर पर करीब सौ-सौ मीटर लम्बा वाटर प्रूफ शेड बनाया गया। शेड में बिजली की व्यवस्था है, लेकिन पंखे अब तक नहीं लगाए गए हैं।
प्लेटफॉर्म संख्या चार को शेड से कवर करने तथा उधना की ओर बने फुटओवर ब्रिज पर दोनों ओर बाहर निकलने का रास्ता बनाने का कार्य शुरू किया गया है। दो से ढाई महीने में काम पूरा करने की समय सीमा तय की गई है। बारिश के सीजन से पहले शेड तथा रास्ते का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
सी.आर. गरूड़ा, स्टेशन निदेशक, सूरत