scriptड्रेनेज लाइन के लिए जमीन का मसला सुलझा | Fix the issue of land for the drainage line | Patrika News

ड्रेनेज लाइन के लिए जमीन का मसला सुलझा

locationसूरतPublished: Mar 09, 2018 10:49:54 pm

कब्जे के लिए शुरू होगा डिमार्केशन का काम

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सूरत. करंज में ड्रेनेज लाइन के लिए जमीन का मसला शुक्रवार को सुलझ गया। आगामी सप्ताह में कब्जे के लिए डिमार्केशन का काम शुरू होगा।
ड्रेनेज विभाग को करंज पंपिंग स्टेशन से करंज सुएज प्लांट को जोडऩे वाले 18 मीटर चौड़ टीपी रास्ते पर ड्रेनेज लाइन डालनी है। इसके कब्जे के लिए डे्रेनेज और टाउन प्लानिंग विभाग के बीच शुक्रवार को हुई बातचीत में सहमति बन गई। ड्रेनेज विभाग सूत्रों के मुताबिक इस क्षेत्र की टीपी फाइनल हो गई है और 18 मीटर चौड़ा टीपी रास्ता एक खेत से जा रहा है। डिमार्केशन होने के बाद रास्ते का कब्जा लिया जाना है।
डिप्टी कमिश्नर जेएम पटेल ने डिमार्केशन के लिए ड्रेनेज विभाग को जोन अधिकारियों के साथ संपर्क करने के लिए कहा। ड्रेनेज और जोन अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बाद तय हुआ कि आगामी सप्ताह से रास्ते के डिमार्केशन का काम शुरू होगा। एक बार कब्जा मिलने के बाद ड्रेनेज विभाग लाइन डालने का काम शुरू करेगा।
इतनी आसान भी नहीं प्रक्रिया

फाइनल टीपी में आरक्षित जमीनों के कब्जे की प्रक्रिया इतनी आसान भी नहीं, जितनी दिखती है। जिस जगह को आरक्षित किया गया है, उसका कब्जा लेने से पहले जमीन मालिक को उतनी जगह अन्यत्र देनी होती है। जहां जमीन मालिक के लिए जगह नियत की गई, वह जगह पहले से किसी और की होती है और फिर जमीन के लिए उसके साथ समन्वय बनाना होता है। शहर की फाइनल हुई कई टीपी ऐसी हैं, जहां मौके पर अभी कब्जा लेना बाकी है। जरूरत पडऩे पर जब भी जमीन की जरूरत होगी, मनपा प्रशासन को कब्जे के लिए यही प्रक्रिया अपनानी होगी।
अन्य विभागों के भी प्रोजेक्ट अटके

जमीनों पर कब्जा नहीं मिलने के कारण मनपा के कई प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं। हाइड्रोलिक समेत कई अन्य विभागों के अधिकारी जमीनों पर कब्जों के लिए टाउन प्लानिंग विभाग के साथ संकलन कर रहे हैं, लेकिन जमीनों पर कब्जा नहीं मिल रहा। इस कारण प्रोजेक्ट्स की लागत भी बढ़ रही है।
मिंढोला पर पड़ा असर

ड्रेनेज विभाग के खाडिय़ों के रिडवलपमेंट के लिए बना मिंढोला प्रोजेक्ट भी जमीनों पर कब्जे के कारण लेट हुआ। प्रोजेक्ट के तहत मनपा प्रशासन ने मिंढोला नदी की एश्च्युरी में जाने वाली गंदगी को रोकने के लिए शहर की दो खाडिय़ों के रिडवलपमेंट का काम हाथ में लिया था। कोयली और मीठी खाडिय़ों में रिटेनिंग वॉल और अन्य काम तो समय से हो गए लेकिन खाडिय़ों के किनारे ग्रीनरी और ट्रैक बनाने का काम जमीनों पर कब्जा नहीं मिलने के कारण लंबे समय तक अटका रहा। इस कारण प्रोजेक्ट की लागत भी काफी बढ़ गई, जिसका असर मनपा की वित्तीय स्थिति पर भी पड़ा।
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