-सवालिया निशान उठने की हैं ठोस वजह सूरत कपड़ा मंडी में प्रत्येक वर्ष मार्च से अप्रेल-मई तक, जुलाई मध्य से अगस्त-सितम्बर तक और दीपावली के दिनों में व्यापारिक ग्राहकी का सीजन रहता है और ग्राहकी के दौर के बीच कपड़ा व्यापारियों का ध्यान पूरा व्यापार की तरफ केंद्रित रहता है। यहीं बड़ी वजह है कि फोस्टा चुनाव की मांग सीजन के सिवाय अवधि में ही ज्यादा उठाई गई है, फिर वह जनवरी-फरवरी में चली मुहिम हो अथवा मई से ही जारी आंदोलन, ऑफसीजन में ही जोर पकड़ा है। 15 जुलाई के बाद फिर एक बार सूरत कपड़ा मंडी में व्यापारिक सीजन शुरू हो जाएगा तो ऐसे में पिछले जोनवार मीटिंग्स की तरह मतदाता सदस्यता अभियान भी फुस्स हो जाने के सवालिया निशान निशान भी उठने लगे हैं। अगस्त-सितम्बर तक व्यापारिक गहमा-गहमी के बाद गुजरात विधानसभा चुनाव की गतिविधि प्रारम्भ हो जाएगी और एक बार फिर फोस्टा चुनाव का मुद्दा जस का तस रह जाने की आशंका व्यापारियों को यूं ही नहीं है।
-पिछले समय में रह हैं सभी को यह अनुभव सात साल पहले 2015 के जुलाई महीने में फोस्टा चुनाव ने काफी गति पकड़ी थी और तब तीन माह में चुनाव सम्पन्न कराने का वादा-दावा करने वाले मनोनीत पदाधिकारियों ने मतदाता सूची में रंगीन कपड़े के ही व्यापारियों के नाम शामिल किए जाने की ऐसी जिद पकड़ी कि फिर फोस्टा चुनाव की मांग वह साल तो क्या आगे 2016 और 2017 तक भी उठ नहीं पाई। 2016 में नोटबंदी और 2017 में जीएसटी आंदोलन से सूरत कपड़ा मंडी में अलग हवा बही। इसके बाद 2018 व 2019 में भी फोस्टा चुनाव की मांग उठी, लेकिन मौनी बाबा के समान मनोनीत पदाधिकारियों ने गहरी चुप्पी साधे रखी और नतीजन वह प्रयास भी अधूरे ही रह गए। इस बार जनवरी-फरवरी और अब इन दिनों फिर से फोस्टा चुनाव की मांग कपड़ा व्यापारियों की ओर से सूरत कपड़ा मंडी में उठाई जा रही है।
-बता दें सीधे चुनाव की तारीख बेहतर कार्यशैली और व्यापारिक एकता के बूते रिंगरोड कपड़ा बाजार स्थित जस टेक्सटाइल मार्केट की स्थिति पिछले वर्षों में काफी कुछ बदली है। मार्केट एसोसिएशन के सचिव महेंद्रसिंह भायल ने पत्रिका को फोस्टा चुनाव के संदर्भ में लिखे पत्र में बताया कि 10 साल से चुनाव नहीं होने की वजह से सूरत कपड़ा मंडी में अन्य व्यापारिक संगठन सक्रिय हुए हैं, लेकिन एशिया के सबसे बड़े सिल्क सिंथेटिक बाजार में संगठित संस्था कोई नहीं है, जिसके प्रति हजारों कपड़ा व्यापारी आंख बंद कर विश्वास कर सकें। फोस्टा चुनाव के मामले में आंख-मिचौली का खेल बहुत हो गया नीति-नीयत अगर साफ हैं तो अब पदाधिकारियों को सीधे चुनाव की तारीख बता देनी चाहिए। जस मार्केट में भी मतदाता सदस्यता आवेदन पत्र आए हैं तो निश्चय है कि कुछ हलचल अवश्य है, लेकिन पिछले अनुभव भी अब तक ऐसे रहे हैं कि जिससे चुनाव का मुद्दा ठंडे बस्ते में ही पहुंचता दिखा है। फोस्टा के डायरेक्टर्स ने भी कभी ईमानदारी से चुनाव के मुद्दे पर कोशिश नहीं की और इसी का परिणाम है कि हजारों कपड़ा व्यापारियों के मातृ संगठन फोस्टा को लोकतंत्र के अभाव में यह दिन देखने पड़ रहे हैं। सूरत कपड़ा मंडी की सभी टेक्सटाइल मार्केट्स एसोसिएशन को भी फोस्टा चुनाव के मुद्दे पर आगे आकर अपनी मांग सबके सामने रखनी चाहिए क्योंकि स्वस्थ लोकतंत्र से ही संवैधानिक अधिकार जिंदे रखे जा सकते हैं।
धन्यवाद।
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