शनिवार को वल्र्ड सिकलसेल डे मनाया जा रहा है। भरुच व नर्मदा जिले के आदिवासी इलाके में आनुवांशिक रोग सिकलसेल एनिमिया मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। इस बीमारी की चपेट में आने वालों में आदिवासी लोगों की संख्या अधिक है। गुजरात में मुख्य रुप से दाहोद, पंचमहाल, नर्मदा, भरुच, सूरत, नवसारी, वापी, वलसाड, डांग जिले के आदिवासी इस बीमारी के सबसे ज्यादा शिकार हैं।
नर्मदा जिले में साढ़े छह लाख की आबादी में से 4000 लोग सिकलसेल से ग्रस्त हैं। साथ ही बीमारी के वाहक माने जाने वाले 55000 लोगों का जिला स्वास्थय विभाग की ओर से लगातार ऑब्र्जवेशन किया जा रहा है। इन लोगों का प्रीट्रीटमेंट भी किया जाता है। दूसरी ओर भरुच जिले में चलने वाले सिकिल सेल एनीमिया प्रोजेक्ट में कितने लोगो का इलाज चल रहा है इस बारे में खुद विभाग को ही कोई जानकारी नही हैं।
यह हैं लक्षण, ऐसे रखें ध्यान लगातार बुखार आना, शरीर कमजोर हो जाना, लगातार पेट में दर्द होना, घुटने व हड्डियों में सूजन आना और लगातार पीलिया का होना इसके मुख्य लक्षण हैं। ऐसे मरीजों को नियमित रुप से डाक्टर से जांच कराने के साथ ही ज्यादा उंचाई वाले स्थान पर नही जाना, बरसात व ठंडे पानी में भींगने से बचना, शीत से बचना और शारीरिक श्रम नहीं करने जैसी सावधानियां बरतने की जरूरत है।
टैस्ट कराया जाना जरूरी सिकलसेल बीमारी को लेकर लोगों में जागरुकता की जरूरत है। यह आनवांशिक बीमारी ज्यादातर आदिवासी समाज में देखने को मिलती है। लक्षण दिखने पर सिकलसेल का टैस्ट कराया जाना जरूरी है।
डॉ. डेक्सटर पटेल, चिकित्सक, भरुच