scriptअंधेरी रात में क्या हुआ जो मच गई भगदड़? | Four workers injured due to explosion in reactor | Patrika News

अंधेरी रात में क्या हुआ जो मच गई भगदड़?

locationसूरतPublished: Dec 11, 2019 09:04:09 pm

रात दो बजे के बाद अचानक हुए धमाके से दहल गए लोग, चार घायल, भगदड़ और अफरा-तफरी से बिगड़ी स्थिति

अंधेरी रात में क्या हुआ जो मच गई भगदड़?

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वापी. जे टाइप औद्योगिक विस्तार में स्थित आर-3 क्रॉप केयर प्रा. लि. कंपनी में मंगलवार आधीरात रिएक्टर में धमाका होने से चार श्रमिक घायल हो गए। रात करीब सवा दो बजे यह हादसा सीपीसी प्लांट में होने के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई थी। धमाका होने के तुरंत बाद ही प्लांट में आग लग गई थी। प्रचंड विस्फोट के कारण आसपास की कंपनियों के अलावा कई किमी तक का इलाका दहल उठा था।
घटना के तुरंत बाद ही वापी समेत आसपास के इलाके की दमकल गाडियां मौके पर पहुंच गई। आग को काबू करने के लिए फोम का उपयोग किया गया। विस्फोट के कारण कंपनी के अलावा आसपास की दूसरी कंपनियों में भी आफिस व वाहनों के शीशे चटक गए। घटना में घायल श्रमिकों को हरिया अस्पताल ले जाया गया। हादसे के बाद रात में ही जीआईडीसी, वीईसीसी, पुलिस समेत अन्य विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई थी। करीब तीन घंटे में आग को काबू कर लिया गया।
बताया गया है कि प्लांट में इंटरमीडिएट रिएक्शन की प्रक्रिया के दौरान रिएक्टर का तापमान मेन्टेन नहीं हो पाया। इसके कारण हादसा हुआ। प्रेशर बढऩे पर रिएक्टर के फटने का अंदेशा होते ही वहां काम कर रहे सभी श्रमिक वहां से भाग निकले थे, इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई। हालांकि प्लांट के परखच्चे उड़ गए थे।
घायल कर्मचारियों की हालत ठीक बताई गई है। दो कर्मचारियों ने बताया कि नजदीक में प्रचंड धमाका सुनने के बाद उनकी तबियत खराब हो गई। इसके कारण उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। घटना के बाद कंपनी निरीक्षक व फायर एंड सेफ्टी उपनिदेशक डीके वसावा ने भी कंपनी पहुंचकर घटना की जांच पड़ताल की।
लाइन में लीकेज की आशंका

कंपनी निरीक्षक डीके वसावा के अनुसार प्रारंभिक जांच में पता चला है कि वेपर लाइन में लीकेज के कारण रिएक्टर का तापमान मेन्टेन नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि करीब दस के एल क्षमता के रिएक्टर का तापमान 100 डिग्री तक मेन्टेन करना होता है। ऐसा लगता है कि लाइन में लीकेज के कारण ऐसा नहीं हो पाया। इसका पता चलने के बाद सभी श्रमिक प्लांट से निकल गए थे। उन्होंने बताया कि वर्ष में एक बार रिएक्टर के कूलिंग सिस्टम की जांच की जाती है।
इस सीजन में ऐसे हादसों की ज्यादा आशंका

अंधेरी रात में क्या हुआ जो मच गई भगदड़?
बीते कुछ वर्षों के आंकडें देखें तो रिएक्टर फटने की ज्यादातर घटनाएं शीत के सीजन में ही हुई हैं। उसमें भी ज्यादातर रात में। इस वर्ष की शुरूआत में एक जनवरी को ग्रो एंड वेल कंपनी में भी रात में रिएक्टर फटने की घटना हुई थी। इस बाबत पूछे जाने पर डीके वसावा ने बताया की विभाग के ध्यान में भी यह बात है। उन्होंने बताया कि समय-समय पर सेफ्टी सेमिनारों में श्रमिकों व कंपनियों को भी इस बारे में आगाह किया जाता है। इस समय बाह्य वातारण ड्राई होता है। लाइन में लीकेज या अन्य खामी के कारण स्टेटिक चार्ज में शॉर्ट से हादसे की आशंका रहती है। साथ ही शीत होने पर ड्यूटी पर मौजूद श्रमिक को नींद आने या आलस्य भी कई बार घटना के लिए जिम्मेदार कारक होता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष रिएक्टर में विस्फोट की यह दूसरी ही घटना थी।
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