पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अहमदाबाद के सीटीएम क्षेत्र में रहने वाले जिग्नेश कोष्टी की मुंबई एक व्यक्ति अशोक मेहता से पहचान हुई थी। जमीन दलाली के काम में मंदी होने पर जिग्नेश ने अशोक से नौकरी के बारे में बात की थी। अशोक ने जिग्नेश को वटवा जीआइडीसी के एक कार्यालय में नौकरी दिलवाने के बहाने उसे आधारकार्ड, पेनकार्ड, फोटोग्राफ समेत अन्य दस्तावेज मांगे। जिग्नेश ने व्हाट्सएप पर सारे कागजात भेज दिए, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं दिलवाई।
उसके बाद 12 जुलाई 2020 में राजस्थान से कुछ लोग उसके घर पर आए और पांच लाख रुपए की मांगने लगे। उन्होंने बताया कि आपने सूरत में स्थित अपनी एसएस अग्रवाल एण्ड संस कंपनी से जो व्यापारिक लेन-देन किया है। उसके बकाया रुपए लेने हैं। उन्होंने कंपनी के जीएसटी नम्बर और उसका फोटो समेत अन्य सभी प्रमाण दिखाए। जिग्नेश ने उनसे कहा कि उसकी कोई कंपनी नहीं है, लेकिन वे नहीं माने। व्यापारिक लेनदेन को लेकर हुई बातचीत की रिकॉर्डिग भी सुनाई।
उसमें अशोक की आवाज थी। उन्होंने राजस्थान में उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया। इस मामले में राजस्थान पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कार्रवाई भी की। वहां से जमानत मिलने पर उन्होंने अमदाबाद के रामोल थाने में शिकायत दी। सूरत कोहिनूर मार्केट स्थित द फाइनेंशियल को-ऑपरेटिव बैंक में उनके नाम से फर्जी खाता खुलवाया गया था और ऑफिस के रेंट एग्रिमेंट बनाए थे।
सभी कागजातों में उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे। शिकायत की पड़ताल के बाद पुलिस ने सलाबतपुरा थाने में जिग्नेश की प्राथमिकी के आधार पर अशोक के खिलाफ मामला दर्ज किया।
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