scriptहर तरफ गणपति बप्पा मोरिया की गूंज | Ganapati Bappa Moria's echo on every side | Patrika News

हर तरफ गणपति बप्पा मोरिया की गूंज

locationसूरतPublished: Sep 13, 2018 11:07:23 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

गणेश उत्सव को गणेश नवरात्र भी कहा जाता है

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हर तरफ गणपति बप्पा मोरिया की गूंज


नवसारी. संकट चौथ के दिन गुरुवार से जिले में गणेश महोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ शुरू हो गया है। सुबह से ही गणेश पंडालों में गणपति के आगमन के भक्ति गीत बजने लगे थे। बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता गणेश भगवान के प्रागट्य दिन से गणेशोत्सव मनाने की शुरुआत होती है। ज्योतिषियों के अनुुसार गणेश उत्सव को गणेश नवरात्र भी कहा जाता है। नवरात्र की तरह की गणेश उत्सव भी नौ रातों का होता है। कई जगहों पर दस और 11 दिन भी गणेश महोत्सव मनाया जाता है।
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ढोल नगाड़़े के साथ श्रीजी की स्थापना की

नवसारी जिले में गणेश उत्सव हिन्दुओं के साथ मुस्लिम, पारसी, जैन संप्रदाय के लोग भी उत्साह और भक्तिभाव से मनाते हैं। नवसारी के लक्ष्मण हॉल, मामा चेवड़ा के सामने, गुरुकृपा सोसायटी, जूनाथाणा, मंकोडिया, सिद्धि विनायक मंदिर, गोलवाड़ स्थित राणा स्ट्रीट, जलालपोर आदि जगहों पर सार्वजनिक गणेश उत्सव मंडलों ने ढोल नगाड़़े के साथ श्रीजी की स्थापना की। गणदेवी में चंद्रिका माता मंदिर चौक, कंसारवाड़, घीवर शेरी, दवे मोहल्ला, पारसीवाड़ समेत अन्य जगहों पर भी श्रीजी की स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू की गई। घरों में भी बप्पा को विराजमान किया गया है। घरों में डेढ़ दिन से लेकर पांच और सात दिनों तक गणपति की पूजा पाठ कर विदाई होगी। अनंत चतुर्दशी को पर्व संपन्न होगा और श्रद्धालु गणपति बप्पा को विदा करेंगे।
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माली समाज भवन में विराजे गणपति
वापी. माली समाज भवन में भी गुरुवार को भक्तिभाव के साथ पहले वर्ष गणपति बप्पा की स्थापना की गई है। इससे उत्साहित माली समाज के लोगों ने गणेश भगवान की भक्ति भाव से पूजा -आरती की। इस मौके पर माली समाज के हीरालाल, मांगीलाल, ओमजी माली समेत अन्य ट्रस्टी व माताजी ग्रुप के सदस्यों समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे लगाए।

मिच्छामी दुक्कड़म कहकर क्षमायाचना
सिलवासा .पर्युषण के अंतिम रोज गुरुवार को मिच्छामी दुक्कड़म उच्चारण करते हुए जैन धर्मप्रेमियों ने वर्षभर में हुई गलतियों के लिए माफी चाही। सवेरे जैन मंदिरों में पूजा के बाद धर्मप्रेमी एक दूसरे को मिच्छामी दुक्कड़म कहते दिखे। दिन में मोबाइल, फोन पर मिच्छामी दुक्कड़म का संदेश चला। कइयों ने एक दूसरे के घर जाकर क्षमायाचना की। प्रदेश के सभी श्वेताम्बर मंदिरों में श्रद्धालुओं ने भगवान का दर्शन करके संवत्सरी पर्व मनाया। दादरा जैनालय में दर्शन लाभ करने के लिए दिनभर श्रद्धालु आते रहे। महिलाओं ने स्वाध्याय पाठ किया एवं भगवान के उपदेशों को अपनाने का संकल्प लिया। चार रास्ता जैन धर्मशाला में श्वेताम्बर पंथियों ने पर्युषण का अंतिम दिन एक दूसरे को मिच्छामी दुक्कड़म कहकर मनाया। इस अवसर साध्वी महाराज सुयश माला , वात्सल्य माला व विरक्तिमाला ने पर्युषण के अंतिम दिन के महातव्य पर व्याख्यान दिए। उन्होंने कहा कि मिच्छामी दुक्कड़म का अर्थ है कि मन और कर्म से भूलवश किया गया अनैतिक कर्म की क्षमायाचना से है। क्षमायाचना सॉरी से बढक़र है। इसमें हद्य से सभी तरह की गलतियों के लिए क्षमा की जाती है चाहे गलती जानबूझकर की गई हो, या अनजाने से।
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