सूरत

एक इआइएल ने खोली मुक्ति की राह

कृत्रिम तालाबों और समुद्र किनारे देनी होगी बप्पा को विदाई

सूरतSep 08, 2018 / 09:40 pm

विनीत शर्मा

एक इआइएल ने खोली मुक्ति की राह

सूरत. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में लगी एक इआइएल ने सूरत में तापी नदी को प्रदूषण से मुक्ति की राह खोल दी है। एनजीओ की ओर से इआइएल दाखिल होते ही बरसों से एनजीटी और हाइकोर्ट की सलाह को दरकिनार कर तापी में विधिवत विसर्जन की व्यवस्था में खड़ा स्थानीय प्रशासन इस बार चेत गया है। तापी नदी में विसर्जन नहीं होने देने की प्रतिबद्धता के साथ ही तय किया गया है कि पांच फीट की प्रतिमाएं कृत्रिम तालाबों और इससे बड़ी प्रतिमाएं समुद्र में विसर्जित की जाएंगी।
जिस तरह से बीते दो दशक में तापी नदी में प्रदूषण की मात्रा में लगातार इजाफा हुआ, सूरतीयों की लाइफलाइन तापी अपनी जीवतंता खोने लगी। नीचे से शीर्ष तक तापी की सेहत के साथ खिलवाड़ होता रहा। बरसों से एनजीटी स्थानीय प्रशासन को चेता रही थी कि तापी की सेहत सुधारने की कवायद शुरू की जाए। तापी में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए एनजीटी ने इस पर नियंत्रण के उपाय करने की हिदायत दी थी। गणेश महोत्सव के दौरान तापी नदी में विसर्जन को लेकर लगातार हिदायतें दी गई थीं, जिन्हें हर बार दरकिनार किया जाता रहा।
तापी में बढ़ते प्रदूषण पर इआइएल दाखिल होते ही एनजीटी ने आदेश जारी कर स्थानीय प्रशासन से सवाल-जवाब शुरू कर दिए। मनपा प्रशासन को बाकायदा इस दिशा में अब तक किए गए कामों का ब्योरा भी तैयार करना पड़ रहा है। एनजीटी की इस सख्ती को देखते हुए तय हुआ कि इस बार तापी नदी में गणपति प्रतिमाओं को विसर्जित नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए मनपा और पुलिस प्रशासन मिलकर संयुक्त अभियान चलाएंगे जिससे तापी नदी में एक भी प्रतिमा विसर्जित नहीं हो पाए।
बनाए कृत्रिम तालाब

मनपा प्रशासन ने तापी नदी में प्रतिमाओं को जाने से रोकने के बाद की स्थितियों से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। शहरभर में १७ कृत्रिम तालाब बनाए जा रहे हैं। यह आंकड़ा पिछली बार से छह ज्यादा है। नए तालाब नदी किनारे उन घाटों के समीप बनाए गए हैं, जहां लोग गणपति प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए आते रहे हैं। इन तालाबों में ६४४०० प्रतिमाओं को विसर्जित किया जा सकेगा।
धार्मिक आयोजनों ने बढ़ाया प्रदूषण

ड्रेनेज और औद्योगिक वेस्ट के साथ ही शहर में होने वाले धार्मिक आयोजनों ने भी तापी की सेहत से खिलवाड़ में कंजूसी नहीं बरती। तापी की पूजा-अर्चना के नाम पर नदी में हर साल प्रदूषण की मात्रा बढ़ती रही। गणेश महोत्सव समेत वर्षभर में ऐसे कई आयोजन होते हैं, जिसमें प्रतिमाओं का विसर्जन नदी जल में किया जाता रहा है। इनमें पीओपी की प्रतिमाओं की संख्या भी अच्छी खासी है जिनके निर्माण में इस्तेमाल हुए रंगों का जहर पानी की गुणवत्ता ही नहीं बिगाड़ रहा, जलीय जीवों के जीवन पर भी संकट खड़ा कर रहा है।
पत्रिका ने बार-बार उठाया मुद्दा

तापी शुद्धिकरण को अभियान के रूप में राजस्थान पत्रिका ने बार-बार उठाया है। इन खबरों को लेकर सामाजिक संस्थाएं तो सक्रिय होती हैं, लेकिन स्थानीय और राज्य स्तर पर प्रशासनिक मशीनरी हर बार तापी नदी को लेकर असंवेदनशील रही है। पत्रिका ने सिलसिलेवार खबरें छापकर अभियान भी चलाया था, जिसके बाद शहर भाजपा इकाई ने तापी शुद्धिकरण अभियान शुरू किया था।
एनजीटी ने मांगी है स्टेटस रिपोर्ट

एनजीटी ने मनपा प्रशासन को नदी के पट का नक्शा बनाने, नदी के पट क्षेत्र में हो रहे अवैध कामों को रोकने, नदी में छोड़े जा रहे गंदे पानी को रोकने, नदी के प्रदूषण को लेकर स्टेटस रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक किया जाने की हिदायत दी है। एनजीओ के इआइएल पर एनजीटी की हिदायत के बाद मनपा प्रशासन ने तापी शुद्धिकरण के लिए मास्टर प्लान तैयार किया। काकरापार से ओएनजीसी ब्रिज तक तीन फेज में काम होना है, जिसपर करीब ७४१ करोड़ रुपए खर्च होंगे।
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