कृत्रिम तलाब बने चर्चा का विषय
इस बार तापी नदी में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाई गई है। इस आदेश का सख्ती से पालन हो रहा है। डेढ़ दिन, पांच दिन और सात दिनों के गणेश का कृत्रिम तालाबों में ही विसर्जन किया गया। किसी को तापी के पास भी जाने नहीं दिया गया। पुलिस ने वहां कड़ा पहरा लगा रखा है। रविवार को विसर्जन के चलते पुलिस तापी पर नजर बनाए हुए है। आयोजकों में कृत्रिम तालाब चर्चा का विषय बना रहा। मनपा ने विसर्जन के लिए शहर में 22 कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं।
इस बार तापी नदी में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाई गई है। इस आदेश का सख्ती से पालन हो रहा है। डेढ़ दिन, पांच दिन और सात दिनों के गणेश का कृत्रिम तालाबों में ही विसर्जन किया गया। किसी को तापी के पास भी जाने नहीं दिया गया। पुलिस ने वहां कड़ा पहरा लगा रखा है। रविवार को विसर्जन के चलते पुलिस तापी पर नजर बनाए हुए है। आयोजकों में कृत्रिम तालाब चर्चा का विषय बना रहा। मनपा ने विसर्जन के लिए शहर में 22 कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं।
विसर्जन के लिए किराए पर पतीले लेने उमड़े
इस बार तापी में गणेश प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगाई गई है। विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं। कई भक्त घरों में ही विसर्जन करेंगे। इसके लिए शनिवार को बर्तन की दुकानों से बड़े पतीले खरीदे गए। रसोई के लिए किराए पर देने वाले बर्तन वालों के यहां भी लोग पतीले लेने पहुंचे।
गणेश महोत्सव के लिए सूरत मशहूर गणेश महोत्सव के लिए मुंबई के बाद सूरत मशहूर है। मुंबई में गणेश महोत्सव की शुरुआत श्रीजी की शोभायात्रा से होती है। इसमें घोड़ागाड़ी, ऊंटगाड़ी, हाथी, बैंड-बाजा, झूमर वाले, ढोल-ताशे वाले, ऑर्केस्ट्रा, डीजे और तरह-तरह की रोशनी शामिल रहती है। सूरत में भी शोभायात्रा का चलन बढ़ता जा रहा है। दो साल पहले तक शहर के एक-दो बड़े गणेश आयोजक शोभायात्रा निकालते थे। इसमें मात्र ढोल-ताशे वाले और रोशनी वाले होते थे, लेकिन अब शहर के हर विस्तार के आयोजक शोभायात्रा निकालने लगे हैं। एक तरह से भव्य शोभायात्रा निकालने की होड़ शुरू हो गई है। भागल विस्तार शोभायात्रा का मुख्य केन्द्र बन गया है। गोलवाड़ से स्टेशन रोड तक इन दिनों रोज रात को गणेशजी की बड़ी शोभायात्राएं निकल रही हैं। हर आयोजक अपने अनुसार शोभायात्रा पर खर्च कर रहे हैं। प्रतिमा से लेकर भक्तों के ड्रेस कोड तक शोभायात्रा पर लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। पहले शहर में विसर्जन यात्रा देखने के लिए भीड़ उमड़ती थी। अब शोभायात्रा देखने के लिए भीड़ उमडऩे लगी है।