सूरतPublished: Sep 22, 2023 08:52:54 pm
Divyesh Kumar Sondarva
सूरत. गणेश महोत्सव धूमधाम से मनाने के साथ प्रदूषण रोकने के प्रति भी श्रद्धालु ध्यान रखने लगे हैं। भक्तों में मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करने का चलन साल दर साल बढ़ता जा रहा है। मिट्टी की प्रतिमा की बढ़ती मांग को देखते हुए सूरत में जगह-जगह लगे प्रतिमाओं के स्टॉल में ज्यादातर मिट्टी की प्रतिमा ही नजर आ रही है।
शहर में गणेश महोत्सव की रौनक देखी जा रही है। जगह-जगह पंडाल तैयार हो रहे हैं। दूसरी ओर मूर्तिकार प्रतिमाओं को आखिर रूप देने में व्यस्त है। 19 सितम्बर को गणेशजी की विधिवत स्थापना के साथ गणेश महोत्सव का आगाज हो जाएगा। शहर के भागल, कोटसफिल रोड़, भागा तलाव, अडाजन, रांदेर, घोड़दौड़ रोड, वेसू, सिटी लाइट, पर्वत पाटिया, डिंडोली, लिंबायत, उधना, वराछा और कतारगाम में कई जगहों पर प्रतिमाओं के स्टॉल लगे हुए हैं। इनमें एक फीट से 5 फीट तक की प्रतिमाएं नजर आ रही है। मूर्तिकारों का कहना है कि सभी प्रतिमाएं मिट्टी से बनाई गई है।
- बदला नजरिया :
शहर में पहले जगह-जगह पीओपी की प्रतिमाएं स्थापित की जाती थी। इन प्रतिमाओं को तापी में विसर्जित किया जाता था। जिससे तापी में प्रदूषण फैलने की शिकायत होने लगी थी। धीरे-धीरे जनता को मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करने की अपील की जाने लगी। श्रद्धालु भी पीओपी से फैलने वाले प्रदूषण को समझने लगे और नतीजा यह आया कि अब ज्यादातर स्टॉल पर मिट्टी की प्रतिमा देखने को मिल रही है। मूर्तिकारों का कहना है कि अब बन रही मिट्टी की प्रतिमाएं आसानी से पानी में पिघल जाती है। साथ ही इसमें इको फ्रेंडली रंगों का उपयोग किया जाता है, जिससे पानी भी दूषित नहीं होता है।