गणेश चतुर्थी के अवसर पर गुरुवार को प्रथम पूज्य गौरीसुत गणेश हजारों पंडालों में मंत्रों की गूंज के साथ विराजमान हो गए। सर्वाधिक प्रतिमाओं की स्थापना दोपहर अभिजित मुहूर्त के दौरान की गई। सजे पंडालों में सुबह बाजे-गाजे के साथ आयोजक मंडल के सदस्य एवं भक्त गणपति, गोरी-गणेश, मंगलमूर्ति प्रतिमाओं को लेकर पहुंचे। विघ्नविनायक की भाव-भक्ति के माहौल में स्थापना की गई। पंडालों में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। पंडितों ने यजमान और आयोजकों से पृथ्वी पूजन, वरुण पूजन, गणपति पूजन, नवग्रह, षोड़षमात्रिका पूजन के अलावा अन्य देवी-देवताओं की पूजा करवाई। बाद में सामूहिक आरती की गई। शाम ढलने के बाद शहर के प्रमुख आयोजक मंडलों की ओर से स्थापित गणपति प्रतिमाओं के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के पहुंचने का दौर शुरू हो गया।
सुबह से शाम तक चला दौर
स्थिर योग गुरुवार को सुबह 6 बजकर 26 मिनट से दोपहर 2 बजकर 54 मिनट तक रहा। स्थिर योग में सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 58 मिनट तक शुभ चौघडिय़ा, सुबह 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक चल-लाभ का चौघडिय़ा, शाम 5 बजकर 2 मिनट से 6 बजकर 43 मिनट तक के शुभ चौघडिय़ा में श्रद्धालुओं ने गणपति प्रतिमा की स्थापना की।