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‘ग्रीन द रेड’ पर्यावरण संरक्षण में मददगार

locationसूरतPublished: Jun 09, 2018 12:07:44 pm

सिक धर्म को लेकर महिलाओं में हैं कई तरह की भ्रांतियां

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‘ग्रीन द रेड’ पर्यावरण संरक्षण में मददगार

सूरत. मासिक धर्म के दौरान इस्तेमाल होने वाले सेनेटरी नेपकिंस पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। भविष्य को सुरक्षित रखना है तो इनके इस्तेमाल से बचना होगा। ग्रीन द रेड इसके प्रति महिलाओं में जागरुकता का प्रयास कर रही है।
आज भी मासिक धर्म को लेकर महिलाओं में कई तरह की भ्रांतियां हैं। इन बातों को साझा करने में महिलाएं शर्म महसूस करती हैं। पुराने समय में भारतीय महिलाएं सेनेटरी नेपकिन की जगह कॉटन साड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल करती थीं। आज भी कई महिलाएं पुराने कपड़ों का ही इस्तेमाल करती हैं और उन्हें सुखाए बिना घर के अंधेरे कोने में छिपाए रखती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे बचने के लिए सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल बढ़ा। उन्हें यूज करके फेंक दिया जाता है। कई एनजीओ और सरकार भी महिलाओं को सस्ती दर पर या निशुल्क सेनेटरी नेपकिन वितरित कर रही हैं। कई महिलाएं शर्म के कारण डिस्पोजेबल सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल भी ठीक से नहीं कर पातीं। उसके गलत निस्तारण से पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है, सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। कई मामलों में सेनेटरी नेपकिन कचरे के ढेर में फेंक दिया जाता है। इससे वातावरण में जहरीली डायोडीन फैलती है, जो हवा, पानी और जमीन में प्रदूषण फैलाती है। एक सेनेटरी पैड चार प्लास्टिक के बैग के बराबर होता है। सेनेटरी पैड डिग्रेड होने में पांच सौ से आठ सौ साल लगते हैं। जब तक कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण का ढांचा खड़ा नहीं हो जाए, ऐसे नेपकिन पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा हैं।
सेनेटरी पैड में पॉलियर, एक्रेलिक बेस्ड जेल, लीकप्रूफ लेयर आदि से जननांगों में खुजली होती है, वहीं कई मामलों में महिलाएं चर्मरोग से भी पीडि़त हो जाती हैं। कई महिलाएं दस से बारह घंटे तक पैड नहीं बदलतीं, जबकि छह घंटे में पैड बदल देना चाहिए। कुछ महिलाएं टैम्पू का इस्तेमाल करती हैं, उसका केमिकल भी नुकसानदायक होता है। डिस्पोजल सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करना भले सुविधाजनक और आकर्षक लगता हो, लेकिन हकीकत यह है कि इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
ऐसे बचें सेनेटरी नेपकिन से

इससे बचने के लिए दो विकल्प हो सकते हैं। एक कपड़े का पैड और दूसरा मेन्स्ट्रल कप। कपड़े का नेपकिन बाजार में उपलब्ध है, जिसे धो-सुखाकर बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। फलालेन और कॉटन के कपड़े के टुकड़ों के सिले हुए पैड मिलते हैं, जो सस्ते और अच्छे भी हैं। मेन्स्ट्रल कप पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से एक अच्छा विकल्प है। आर्थिक रूप से भी यह फायदेमंद है, क्योंकि एक कप दस साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। असरकारक और फायदेमंद होने के बावजूद जागरुकता के अभाव में महिलाएं बड़ी संख्या में इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। ग्रीन द रेड इसी को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए काम कर रही है।
(डॉ. अमी याग्निक से बातचीत के आधार पर)
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