शारदीय नवरात्र में दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्त्व है। देवी के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा किसी भी अनिष्ठ को टालने के लिए की जाती है। मंडलों में आयोजकों ने मां की प्रतिमा के सामने धूप, दीप, अगरबत्ती, हल्दी, केसर, कुमकुम से रंगे चावल, इलायची, लौंग, काजू, पिस्ता, बादाम, गुलाब के फूल, चारौली, नारियल, गंगा जल, काले चने और घी का प्रसाद चढ़ाकर स्त्रोत पाठ, यज्ञ-हवन व अनुष्ठान किए। सरस्वती मंडल ने सामूहिक हवन रखा, जिसमें पंडितों की उपस्थिति में श्रद्धालुओं ने देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए आहुति प्रदान की। पंचायत मार्केट सार्वजनिक नवरात्र महोत्सव में अष्टमी पर विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान हुए। किलवणी नाका पर मां के दर्शनों के लिए विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु पहुंचे। दुर्गा मैया के दरबार में भजन:कीर्तन, अनुष्ठान, आरती एवं महाप्रसाद रखा गया। प्रवासी संघ ने11 फीट की मूर्ति की पूजा की। पूजा के कारण दिनभर श्रद्धालुओं का मेला लगा रहा।
अष्टमी पर गांवों में भी आदिशक्ति की पूजा विधि विधान से हुई। बिन्द्राबीन गायत्री मंदिर में पूजा-अर्चना व हवन के बाद भक्तों को तिलक लगाकार प्रसाद वितरित किया। अर्चना से पहले पुष्प, धूप, दीपक व नैवेद्य लगाकर जाप किए। महिलाओं ने काले चने, खीर एवं घी का प्रसाद चढ़ाकर दुर्गा पाठ किया। घरों में श्रद्धालुओं ने उपवास रखकर पाठ, जाप के अधिष्ठात्री देवी का मनवार किया। नवमी और विजयदशमी पर फूलों की मांग को देखते हुए व्यापारियों ने सडक़ों पर फूलों की दुकानें लगा ली हैं। पंचायत मार्केट, झंडा चौक, किलवणी नाका, टोकरखाड़ा में फूलों के ढेर से सडक़ें सज गई हैं। किसान फुलवारी से फूल एकत्र करने लगे हैं।