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GOOD NEWS: सोलर पंप बना आदिवासियों की कृषि पैदावार का बड़ा सहारा

locationसूरतPublished: Dec 08, 2021 06:23:34 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

-सूरत जिला वन विभाग के प्रयासों से दक्षिण गुजरात में बड़ी कृषि उपलब्धि, 12 महीने होती है खेती और मिलता है रोजगार, युवा पलायन भी रुका

GOOD NEWS: सोलर पंप बना आदिवासियों की कृषि पैदावार का बड़ा सहारा

GOOD NEWS: सोलर पंप बना आदिवासियों की कृषि पैदावार का बड़ा सहारा

सूरत. बारह महीने खेती जहां होती है वहां सदैव खुशहाली बसती है…यह बड़े-बुजुर्गों से हर किसी ने सुना होगा। अब ऐसी ही कहानी गुजरात के वन्य बहुल दक्षिण गुजरात में सूरत जिले के आदिवासियों के मुंह से सुनी जा सकती है। यहां वन विभाग के प्रयासों से आदिवासियों ने सोलर पंप को बारह महीने खेती का माध्यम बनाते ही युवा धन को रोजगार मिलने लगा और पलायन भी रुक गया।
यह वास्तविक कहानी सूरत जिले के आदिवासी बहुल मांडवी व उमरपाड़ा तहसील के गांवों की है। कुछ वर्षों पहले तक इन गांवों के आदिवासी लोग पर्वतीय वन्य क्षेत्र की पथरीली जमीन होने की वजह से ज्यादातर मजदूरी से गुजर-बसर के लिए आसपास के शहर-कस्बों में रहते थे। कृषियोग्य जमीन होने के बावजूद पथरीली व ढलानयुक्त खेत होने से यहां के लोग सही तरीके से खेती नहीं कर पाते थे, क्योंकि बोई हुई फसल की सिंचाई के लिए संग्रहित पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी। क्षेत्रीय आदिवासियों की इस समस्या समेत इससे पनपती अन्य कई समस्याओं को सूरत जिला वन विभाग ने बारीकी से समझा और बाद में जिला वन संरक्षक अधिकारी पुनीत नैयर के प्रयासों से शैल कंपनी व एक अन्य संस्था के सहयोग से खुली जगहों पर सोलर पैनल लगाए गए। इससे पूर्व उमरपाड़ा व मांडवी तहसील के आठ-दस गांवों में जगह-जगह खोदे गए बोरवेल को सोलर पंप से जोड़ा गया और इसके बाद पाइपलाइन से खेतों में अच्छी फसल के लिए सिंचाई का पानी पहुंचने लगा। कुछ ही समय में अब इन आदिवासी बहुल गांवों व यहां के लोगों की स्थिति बिल्कुल बदल गई है।
-एक लाख के केवल तरबूज बेचे

जामकुई के किसान शैलेष वसावा के मुताबिक गांव के ज्यादातर लोग पहले रेती निकालने के लिए मजदूरी पर जाते थे और वर्ष में एक ही बार फसल ले पाते थे। मगर अब बारह महीने सोलर पंप से पानी मिलने लगा है और बारह महीने अलग-अलग कृषि पैदावार लेने में सक्षम किसान बन गए हैं। कृषि पैदावार व बदलती परिस्थिति को इससे समझा जा सकता है कि पिछले सीजन में एक लाख रुपए के केवल तरबूज बेचे थे।
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-41 अलग-अलग यूनिट स्थापित

सूरत जिला वन संरक्षक अधिकारी पुनीत नैयर बताते हैं कि शैल कंपनी व एक अन्य निजी संस्था के सहयोग से पहले क्षेत्र में बारह महीने पानी उपलब्ध कराने के लिए बोरवेल से कुआं बनाया गया। बाद में अन्य संस्थाओं के सहयोग से जामकुई, पिचवाण व आसपास के गांवों में सोलर पैनल लगाकर 41 अलग-अलग यूनिट स्थापित की गई। एक-एक यूनिट से आठ-दस आदिवासियों को जोड़कर उनके खेतों तक बारह महीने पानी की व्यवस्था की गई है।
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-ग्रामीण जन-जीवन में आया परिवर्तन

सोलर पंप से आदिवासियों के खेतों तक बारह महीने पानी पहुंचने की व्यवस्था होते ही सूरत जिले की मांडवी व उमरपाड़ा तहसील के ग्रामीण जन-जीवन में भी सुधार देखने को मिलने लगा है। यहां के किसान अब मूंग, धान, चावल, जुवार आदि कृषि उपजों के अलावा विभिन्न किस्म के फल-सब्जी भी उगाने लगे हैं। इतना ही नहीं हरे-भरे खेतों की वजह से पशुधन में भी बढ़ोत्तरी हुई है और दूध-दही-घी भी पर्याप्त मात्रा में होने लगा है।