-एक लाख के केवल तरबूज बेचे जामकुई के किसान शैलेष वसावा के मुताबिक गांव के ज्यादातर लोग पहले रेती निकालने के लिए मजदूरी पर जाते थे और वर्ष में एक ही बार फसल ले पाते थे। मगर अब बारह महीने सोलर पंप से पानी मिलने लगा है और बारह महीने अलग-अलग कृषि पैदावार लेने में सक्षम किसान बन गए हैं। कृषि पैदावार व बदलती परिस्थिति को इससे समझा जा सकता है कि पिछले सीजन में एक लाख रुपए के केवल तरबूज बेचे थे।
-41 अलग-अलग यूनिट स्थापित सूरत जिला वन संरक्षक अधिकारी पुनीत नैयर बताते हैं कि शैल कंपनी व एक अन्य निजी संस्था के सहयोग से पहले क्षेत्र में बारह महीने पानी उपलब्ध कराने के लिए बोरवेल से कुआं बनाया गया। बाद में अन्य संस्थाओं के सहयोग से जामकुई, पिचवाण व आसपास के गांवों में सोलर पैनल लगाकर 41 अलग-अलग यूनिट स्थापित की गई। एक-एक यूनिट से आठ-दस आदिवासियों को जोड़कर उनके खेतों तक बारह महीने पानी की व्यवस्था की गई है।
-ग्रामीण जन-जीवन में आया परिवर्तन सोलर पंप से आदिवासियों के खेतों तक बारह महीने पानी पहुंचने की व्यवस्था होते ही सूरत जिले की मांडवी व उमरपाड़ा तहसील के ग्रामीण जन-जीवन में भी सुधार देखने को मिलने लगा है। यहां के किसान अब मूंग, धान, चावल, जुवार आदि कृषि उपजों के अलावा विभिन्न किस्म के फल-सब्जी भी उगाने लगे हैं। इतना ही नहीं हरे-भरे खेतों की वजह से पशुधन में भी बढ़ोत्तरी हुई है और दूध-दही-घी भी पर्याप्त मात्रा में होने लगा है।