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बिना जीएसटी नंबर बिक रहा है माल

locationसूरतPublished: Oct 12, 2017 09:50:09 pm

एक ओर जीएसटी के नियमों से कपड़ा व्यापारी परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ व्यापारी ऐसे हैं, जो अभी तक बिना जीएसटी नंबर धड़ल्ले से माल बेच रहे हैं।कपड़ा म

Goods without selling a GST number

Goods without selling a GST number

सूरत।एक ओर जीएसटी के नियमों से कपड़ा व्यापारी परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ व्यापारी ऐसे हैं, जो अभी तक बिना जीएसटी नंबर धड़ल्ले से माल बेच रहे हैं।कपड़ा मार्केट के व्यापारियों के अनुसार जीएसटी का पालन करने वाले व्यापारियों को इससे नुकसान हो रहा है, क्योंकि वह जीएसटी लगाने के बाद माल बेच रहे हैं, इससे उनका कपड़ा महंगा हो जाता है। दूसरी ओर कुछ व्यापारी चोरी-छुपे ट्रक मंगाकर या लग्जरी बसों के माध्यम से अपने पार्सल बिना किसी बिल या रजिस्ट्रेशन नबंर के धड़ल्ले से भेज रहे हैं।


बताया जा रहा है कि इस प्रकार का ज्यादातर व्यापार नकद में हो रहा है। अन्य राज्यों के कुछ व्यापारी एक साथ आते हैं। वह ट्रक या छोटे वाहनों की व्यवस्था करके आते हैं। कपड़ा बाजार में यह ट्रक ब्रिज के नीचे खड़े रहते हैं।

व्यापारी माल का सौदा कर पार्सल ट्रक में भरवाकर निकल जाते हैं। सप्ताह में दो दिन इस तरह से कुछ राज्यों के ट्रक आ रहे हैं और बिना बिल वाला माल भरकर जा रहे हैं।
कुछ लग्जरी बस चालक भी नियमों को ताक में रखकर पार्सल ले जा रहे हैं। बड़े व्यापारियों का कहना है कि इस प्रेक्टिस के कारण कई व्यापारियों का व्यापार चौपट हो रहा है।

ईपीसीजी स्कीम में अब नहीं चुकाना होगा आर्ईजीएसटी

जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार को हुई मीटिंग में केन्द्र सरकार ने एक्सपोर्टर को कई राहत दी हंै। जीएसटी लागू होने के बाद ईपीसीजी स्कीम में मशीन आयात करने वाले उद्यमियों को 18 प्रतिशत आईजीएसटी चुकाना पड़ रहा था। सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया है। इसके अलावा एमइआईएस स्कीम में चुकाई ड्यूटी के लाइसेंस बेचने पर जीएसटी हटा लिया गया है।

सूरत के कपड़ा उद्यमी जीएसटी के नियमों में सरलीकरण की मांग कर रहे थे। कुछ नियमों के कारण निर्यातकों की हालत पतली हो गई थी। जीएसटी लागू होने से पहले ईपीसीजी स्कीम में मशीन आयात करने वाले उद्यमियों को इ?पोर्ट ड्यूटी नहीं चुकानी पड़ती थी।

जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें मशीन पर 18 प्रतिशत आईजीएसटी चुकाना पड़ रहा था। 100 करोड़ रुपए की मशीन आयात करने पर 18 लाख रुपए टैक्स चुकाने के नियम से उद्यमी परेशान थे। उनका कहना था कि कपड़ा उद्यमियों के पास पहले से बड़ी रकम का टैक्स क्रेडिट पड़ा है, उसमें यह 18 प्रतिशत भी जुड़ जाएंगे। देशभर से इस बारे में शिकायत मिलने पर जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में इस नियम को वापस ले लिया गया। इसके अलावा एमईआईएस स्कीम में ड्यूटी चुकाने का लाइसेंस बेचने पर जीएसटी हटा लिया गया। यार्न पर टैक्स 18 से 12 प्रतिशत करने के कारण कपड़े की कीमत कम होगी। इसका लाभ निर्यातकों को मिलेगा और वह विदेशी कपड़ों की प्रतिस्पर्धा में खड़े हो सकेंगे।

तीन महीने टैक्स भरने वाले असमंजस में

जीएसटी लागू होने के बाद बीते तीन महीनों के दौरान सैकड़ों मशीनें सूरत और दक्षिण गुजरात में आयात हुईं। इन्हें मंगाने वालों को करोड़ों रुपए टैक्स के तौर पर चुकाने पड़े। अब जबकि सरकार ने आईजीएसटी हटाने का फैसला किया है, टैक्स भर चुके उद्यमी इस दुविधा में हैं कि उन्हें रिफंड मिलेगा या नहीं। बताया जा रहा है कि जीएसटी में रिफंड का कोई प्रावधान नहीं है।

ई-वॉलेट से क्रेडिट

देशभर में उद्यमियों की ओर से ईपीसीजी योजना में मशीन मंगाने पर 18 प्रतिशत आईजीएसटी का विरोध हो रहा था। इसे देखते हुए सरकार ने इसे हटाने का फैसला किया। इसके अलावा ई-वॉलेट से निर्यातकों को क्रेडिट देने की घोषणा भी की गई है। अभिमन्यु शर्मा, डीजीएफटी अधिकारी

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