वीएनएसजीयू संबद्ध सी.डी.बरफीवाला कॉलेज के प्रथम वर्ष बीकॉम में प्रवेश लेकर पढऩे वाली छात्रा जाह्नवी भीकडिय़ा के पेरों तले से जमीन तब सरक गई थी जब परीक्षा के ठीक पहले उसे पता चला कि उसका प्रवेश ही नहीं हुआ है। उसे हॉल टिकट नहीं दिया गया और परीक्षा में बैठने से मना कर दिया गया। इस मामले में छात्रा ने विश्वविद्यालय के चक्कर काटे तो पता चला कि उसका एनरोलमेंट ही नहीं हुआ है, इसलिए वह विश्वविद्यालय की छात्रा नहीं है। प्रवेश नहीं होने के चलते हॉल टिकट जारी नहीं किया गया।
जाह्नवी भीकडिय़ा और पिता परेश ने कॉलेज और विश्वविद्यालय के कई चक्कर काटे, लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला। छात्रा परीक्षा तक नहीं दे पाई। आखिरकार छात्रा और पिता ने इस मामले में राज्यपाल को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई थी। राज्यपाल भवन से विश्वविद्यालय के नाम पत्र भेजा गया है। इसमें छात्रा को प्रवेश संदर्भ में न्याय देने का आदेश दिया गया है। छात्रा को अगर प्रवेश मिल जाता है, तो आने वाले समय में छात्रा अतिरिक्त परीक्षा दे सकती है। जिससे उसका साल नहीं बिगड़ेगा। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय की परीक्षा से पहले छात्रा कॉलेज की आंतरिक परीक्षा दे चुकी है। एनरोलमेंट नहीं होने के लिए जिम्मेदार कौन है इसका अभी तक पता नहीं चला है।
परीक्षा में प्रवेश देने की मांग
विश्वविद्यालय बायो साइंस विभाग के पीजीडीएमएलटी पाठ्यक्रम में दो छात्रा ऋत्वि वाडदोरिया और ध्रृवी मोरडिया का प्रवेश हुआ था। इससे पहले इन छात्राओं को अन्य महाविद्यालय में चल रहे पीजीडीएमएलटी पाठ्यक्रम में प्रवेश हुआ था। महाविद्यालयों में फीस नहीं भरने के कारण इनका प्रवेश रद्द हो गया बाद में विश्वविद्यालय में इनका प्रवेश हुआ। दोनों को आइडी नंबर और एनरोलमेंट नंबर भी दिया गया है। 3 दिसम्बर से दोनों की परीक्षा है, इससे पहले दोनों छात्राओं का प्रवेश रद्द कर दिया। छात्राओं ने इस मामले में कुलपति को पत्र लिखकर प्रवेश निश्चित करने की गुहार लगाई है। सिंडीकेट सदस्य भावेश रबारी ने छात्राओं को न्याया दिलाने के लिए कुलपति को ज्ञापन सौंपा है।