ब्यूरो सूत्रों के मुताबिक, स्मीमेर अस्पताल के पोस्टमार्टम विभाग में कार्यरत स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर दीपक गढिय़ा ने शिकायतकर्ता से छह हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। दरअसल, शिकायत कर्ता कोर्ट में किसी मामले की सुनवाई टालने के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट की कोरोना पॉजिटिव रिर्पोट बनवाना चाहता था।
उसने इसके लिए डॉक्टर दीपक से संपर्क किया था। बातचीत के बाद डॉक्टर दीपक पांच हजार रुपए में बिना टेस्ट किए पॉजिटिव रिपोर्ट बना कर देने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने पीडि़त से पच्चीस सौ रुपए पहले ले लिए और व्हॉट्सएप पर अपना आधारकार्ड भेजने के लिए कहा।
शेष पच्चीस सौ रुपए बाद में लेकर रिर्पोट देने की बात कही। शिकायत कर्ता रिश्वत के शेष रुपए नहीं देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने ब्यूरो में शिकायत दी। ब्यूरोकर्मियों ने मोबाइल पर बातचीत की रिकॉर्डिग की और नवसारी ब्यूरो की टीम ने डॉक्टर को रंगे हाथ पकडऩे का जिम्मा सौंपा।
डॉक्टर ने शिकायतकर्ता को रिर्पोट लेने के लिए रुपए लेकर स्मीमेर अस्पताल के मुख्य गेट पर बुलाया था। ब्यूरोकर्मियों ने जाल बिछाया और शिकायत कर्ता से शेष पच्चीस सौ रुपए लेते हुए डॉ. दीपक को रंगे हाथों पकड़ लिया। ब्यूरोकर्मियों द्वारा डॉ. दीपक से पूछताछ की जा रही हैं।
टीबी की दवा बेचने को लेकर हुआ था विवाद :
सूत्रों का कहना है कि डॉ. दीपक पहले भी टीबी की दवा के विवाद में फंस चुके हैं। जब वह अस्पताल के टीबी विभाग में थे। उस दौरान टीबी की दवाएं अवैध रूप से बेचने का मामला जोर-शोर से उठा था। कुछ अनियमितताएं भी सामने आई थी। मामला आलाधिकारियों तक पहुंचने पर डॉ. दीपक का स्थानान्तंरण कर दिया गया था।