जीएसटी दर वृद्धि: सूरत कपड़ा मंडी को लग जाती है बड़ी खोट
सूरतPublished: Dec 29, 2021 06:33:10 pm
-जीएसटी दर वृद्धि के विरोध में गुरुवार को एक दिवसीय सांकेतिक बंद, करोड़़ों के कपड़ा कारोबार का अटक जाएगा पहिया


जीएसटी दर वृद्धि: सूरत कपड़ा मंडी को लग जाती है बड़ी खोट
सूरत. यूं एक दिन के बंद से सूरत कपड़ा मंडी को भला कैसे नुकसान हो सकता है...सामान्य तौर पर यहीं विचार आता है, लेकिन सच्चाई यह है कि एक दिन का बंद भी अकेले सूरत कपड़ा मंडी के करोड़ों के कपड़ा कारोबार के पहिए को जाम कर जाता है और उसकी भरपाई होते-होते कई दिन बीत जाते हैं। जीएसटी दर वृद्धि के विरोध में गुरुवार को सूरत कपड़ा मंडी बंद रहेगी और बंद की वजह से रिंगरोड, श्रीसालासर, मोटी बेगमवाड़ी व सारोली कपड़ा बाजार में सभी तरह की व्यापारिक गतिविधियां ठप रखी जाएगी।
सूरत के कपड़ा उद्योग में यार्न, वीविंग, ट्रेडिंग, प्रोसेसिंग, जॉबवर्क, पैकेजिंग, लेबर समेत कई तरह की छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज शामिल है और जीएसटी दर वृद्धि के विरोध में गुरुवार को एक दिन के सांकेतिक बंद का प्रतिकूल व्यापारिक असर इन सभी इंडस्ट्रीज पर दिखाई देगा। सूरत कपड़ा मंडी में प्रतिदिन उत्पादित ढाई-तीन करोड़ मीटर कपड़े की देश व दुनिया की कपड़ा मंडियों में खपत की व्यापारिक प्रक्रिया पूरी होती है और इसमें सभी इंडस्ट्रीज कड़ी के रूप में सक्रिय रहती है। सूरत के कपड़ा उद्योग में जहां वीविंग इंडस्ट्रीज में सवा सात लाख लूम्स मशीनों पर प्रतिदिन ढाई से तीन करोड़ मीटर कपड़ा उत्पादित होता है और प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की साढ़े तीन सौ से ज्यादा कपड़ा मिलों में कपड़े पर रंगाई-छपाई होती है। इसके बाद डेढ़ लाख से ज्यादा एम्ब्रोडरी समेत अन्य तरह की मशीनों पर साड़ी-ड्रेस के कपड़े पर जॉबवर्क होता है। सूरत कपड़ा मंडी में पौने दो सौ से ज्यादा टैक्सटाइल मार्केट की 60-65 हजार दुकानों के हजारों व्यापारियों के यहां से फिर तैयार कपड़ा देश व दुनिया की कपड़ा मंडियों में बिकने के लिए जाता है, लेकिन साढ़े तीन सौ से ज्यादा ट्रांसपोर्ट कंपनियों के मालवाहक वाहनों में ढुलाई से पहले हजारों श्रमिकों को कपड़ा रोजगार देकर जाता है। सूरत कपड़ा उद्योग में 15 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है और एक दिवसीय बंद से कहीं न कहीं ना केवल व्यापारिक चक्र बल्कि जीवन चक्र भी प्रभावित होता है।