पहले चरण के मतदान तक जहां भाजपा और आम आदमी पार्टी के प्रचार का शोर गुजरात ही नहीं पूरा देश सुन रहा था, कांग्रेस ने पूरी ताकत खाटला बैठकों में झोंक रखी थी। गांवों और अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में कांग्रेस नेता लोगों के बीच जाकर बादाम थ्योरी (बख्शीपंच यानी बैकवर्ड या ओबीसी, आदिवासी, दलित, आहीर या आंजणा पटेल और मुस्लिम) को क्रेक कर रहे थे।
भाजपा ने भूपेंद्र पटेल और आम आदमी पार्टी ने इशुदान गढवी को पहले ही मुख्यमंत्री का चेहरा बता दिया था। कांग्रेस बगैर किसी चेहरे के प्रचार कर रही थी और उसे दौड़ से बाहर मान लिया गया था। पहले चरण का मतदान पूरा होते ही कांग्रेस ने ओबीसी मुख्यमंत्री और तीन उप मुख्यमंत्रियों की गुगली फेंककर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को सकते में डाल दिया है।
सोची-समझी रणनीति
मतदान के पहले चरण में दक्षिण गुजरत और सौराष्ट्र-कच्छ पाटीदार बहुल होने के साथ ही जातीय समीकरणों में भी उलझा हुआ है। कांग्रेस को भरोसा था कि इस क्षेत्र के आदिवासी और मुसलमान उसके साथ हैं। दूसरे चरण में ओबीसी और आंजणा पटेल व आहीर समाज निर्णायक है। मतदान से पहले ओबीसी चेहरे को मुख्यमंत्री और आदिवासी, दलित व मुस्लिम चेहरे को उपमुख्यमंत्री बनाने का शिगूफा छोडक़र कांग्रेस ने भाजपा और आम आदमी पार्टी को बैकफुट पर लाने की कोशिश की है।
इन चेहरों पर लगा सकती है दांव
कांग्रेस सत्ता में आई तो प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर मुख्यमंत्री हो सकते हैं। दलित वर्ग से जिग्नेश मेवाणी और आदिवासी समाज से अनंत पटेल के नाम की चर्चा है। मुस्लिम चेहरे को लेकर फिलहाल असमंजस है। जानकारों के मुताबिक इस मशक्कत के लिए भी कांग्रेस को पहले सरकार बनाने की स्थिति में आना होगा।