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GUJARAT POLITICS: स्थानीय राजनीति में तरह-तरह की अटकलें

locationसूरतPublished: Jul 25, 2021 07:38:15 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

-इस घरवापसी को राजनीति के जानकार पाटीदार समाज में आम आदमी पार्टी की बढ़ती पकड़ को मान रहे हैं मुख्य कारण

GUJARAT POLITICS: स्थानीय राजनीति में तरह-तरह की अटकलें

GUJARAT POLITICS: स्थानीय राजनीति में तरह-तरह की अटकलें

सूरत. भले ही पूर्व विधायक धीरु गजेरा ने भाजपा में पुनर्वापसी के मौके पर यह कह दिया कि वे स्वयं अपने मूल घर में लौटे हैं, उन्हें किसी ने घरवापसी के लिए प्रेरित नहीं किया, लेकिन ठीक इसके दूसरी ओर सूरत समेत गुजरात प्रदेश की मौजूदा राजनीति में गजेरा का यह बयान स्थानीय राजनीति के जानकारों को महज राजनीतिक ही अधिक प्रतीत होता है। गजेरा के फिर से जगे भाजपा प्रेम को वे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल की पार्टी संगठन में ही लडख़ड़ाती स्थिति को सहारा देने से भी जोडऩे से नहीं चूक रहे हैं।
2007 के विधानसभा चुनाव से पहले तक सूरत की राजनीति में पाटीदार समाज के बड़े चेहरे के रूप में किसी का नाम आता था तो वह तीन टर्म से विधायक धीरु गजेरा थे और इसी वर्ष ठीक विधानसभा चुनाव से पहले गजेरा समेत अन्य कई पाटीदार समाज के नेताओं का भाजपा व तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मोहभंग हो गया और कोई कांग्रेस तो कोई महागुजरात जनता पार्टी में शामिल होकर विधानसभा चुनाव लड़े। धीरु गजेरा ने भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सूरत उत्तर सीट से चुनाव लड़ा और भाजपा के नानु वानाणी से शिकस्त खाई। इसके बाद भी कांग्रेस ने गजेरा को लगातार 2012 व 2017 के विधानसभा चुनाव तथा 2019 के लोकसभा चुनाव में अवसर दिया, लेकिन वे मतदाताओं की उम्मीद पर खरे नहीं उतर पाए। कांग्रेस से चार चुनाव लड़ चुके गजेरा अब कह रहे हैं कि उन्हें वहां वो सम्मान नहीं मिल पाया जिसके वे हकदार थे और इसी मलाल के साथ वे कई दिनों से भाजपा में लौटने का मन बना रहे थे। इतना ही नहीं इस पुनर्वापसी में गजेरा ने स्वयं आगे बढ़कर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भरत बोघरा से सम्पर्क कर पार्टी अध्यक्ष सीआर पाटिल तक यह संदेश भिजवाया और पाटिल ने भी तत्काल केंद्रीय संगठन से धीरु गजेरा की घरवापसी की राह प्रशस्त की। यह सब बातें सार्वजनिक तौर पर भी सामने आ चुकी है, लेकिन इसके ठीक विपरीत गुजरात की स्थानीय राजनीति के जानकार गजेरा की घरवापसी को कुछ अलग ही तरीके से देख भविष्य का आकलन करने लगे हैं। उनके मुताबिक धीरु गजेरा डेढ़ दशक पहले सूरत की स्थानीय राजनीति में पाटीदार समाज के प्रमुख चेहरे के रूप में थे और उनके भाजपा में जुडऩे से पाटीदार समाज में आम आदमी पार्टी की बढ़ती पकड़ भी ढीली हो सकेगी। इसके अलावा गत दिनों सामाजिक कार्यकर्ता महेश सवाणी के आम आदमी पार्टी में शामिल होने को सीआर पाटिल की अपने ‘घरÓ में ही कमजोरी के रूप में मान रहे है, ऐसे हालात में गजेरा की घरवापसी को राजनीतिक जानकार उक्त घटना से जोड़कर भी देख रहे हैं। इतना ही नहीं वे मानते हैं कि पिछले दिनों प्रदेश में भाजपा की अंदरुनी राजनीति में तेजी से तस्वीरें बदली और पाटिल के समक्ष चौतरफा घेराबंदी के हालात में धीरु गजेरा की घरवापसी कहीं ना कहीं पार्टी संगठन में उनको फिर से मजबूती दिलाएगी। उधर, महेश सवाणी इसे केवल मात्र भाजपा का अपनों में कम विश्वास की नीति से देखते हुए मानते हैं कि जनता सबकुछ जानती है और अगली बाजी उन्हीं के हाथ में है।

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