भीड़भाड़ व प्रदुषण से दूर
एक रिसर्च के मुताबिक मेट्रो सिटीज के लोग त्योहार व अन्य अवकाश का समय शहर की भीड़भाड़ और प्रदुषण से दूर हरी-भरी वादियों में बिताना पसंद करते है। इसकी बड़ी वजह है मॉर्डन लाइफस्टाइल और रूटीन। मनुष्य मशीन बनता जा रहा है और ऐसे में लोग अपनी मशीनी जिंदगियों को दो-चार दिनों के लिए भूल, दूर कहीं वादियों में थोड़े सुकून के पल बिताएं। एक डेटा के अनुसार फेस्टिव सीजन में पॉल्यूशन से बचने के लिए 38 फीसद लोग अकेले व 32 फीसद परिवार के साथ इको लॉज, जंगल लॉज को पसंद करते हैं और हर साल यह संख्या 25 फीसद की दर से बढ़ रही है।
अकेले गुजरात में 105
देश के अधिकांश राज्यों में इको ट्यूरिज्म प्लेस अच्छी संख्या में है और गुजरात में इनकी संख्या 105 है। इनमें भी बेस्ट प्लेस में पदमडुंगरी, महाल, धानापारी, केवड़ी, सरदार सरोवर डेम, विशाल खाड़ी, जाखली, कंजेता, सापुतारा, वघई व वाधवां है, जो कि ज्यादातर दक्षिण गुजरात की सह्याद्री पर्वतमाला की गोद में सिमटे है। अब इस शृंखला में पूर्णा नदी के निकट आंबापाणी इको ट्यूरिज्म प्लेस भी शामिल हो गया है, जहां पर्यटकों को ना केवल शारीरिक आराम मिलेगा बल्कि मन-मस्तिष्क से भी उन्हें प्रकृति के बीच परिवार समेत ताजगी महसूस होगी।
खास विकसित की सुविधाएं
आंबापाणी इको ट्यूरिज्म प्लेस पर वन विभाग ने पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं पूर्णा नदी व जंगल के बीच तैयार की है। इसमें प्रकृति के बीच रहने के लिए कई ट्री हाउस, फूड कोर्ट, चिल्ड्रन प्ले एरिया, बोटिंग डेक, मेनगेट, पार्किंग, लेंडस्केप, लाइटिंग पेवमेंट, साइनेज, शौचालय, गजेबो, किचन विद ड्रिकिंग फेसिलिटी समेत अन्य कई ऐसी सुविधाएं है जो पर्यटकों को खासा आकर्षित कर सकती है। गुजरात सरकार के पर्यटन मंत्री जवाहर चावड़ा व वासण अहीर ने लॉकडाउन के दौरान बनकर तैयार हुए आंबापाणी इको ट्यूरिज्म प्लेस का ई-लोकार्पण पिछले दिनों ही किया है।
पर्यटकों के लिए बनेगा यादगार
गुजरात पर्यटन निगम लिमिटेड के अनुदान से तापी जिला प्रशासन ने यह इको ट्यूरिज्म प्लेस तैयार किया है। यहां आकर पर्यटकों को ना केवल सुकून मिलेगा बल्कि उनके लिए यादगार भी रहेगा।
आरजे हालाणी, जिला कलक्टर, तापी जिला
पर्यटन के लिहाज से सभी सुविधा
आम तौर पर इको ट्यूरिज्म प्लेस पर पर्यटकों को मिलने वाली सभी सुविधाओं को आंबापाणी में तैयार किया गया है। उन्हें यहां पर प्रकृति के बीच जीवन के दो पल बिताने का अनूठा अनुभव मिलेगा।
आनंदकुमार, उप वन संरक्षक, तापी जिला।