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HARIT PRADESH ABHIYAN: नाम छोटा सा नानजी, काम वटवृक्ष के समान ऊंचा

locationसूरतPublished: Aug 11, 2020 09:05:04 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

महज पांच वर्ष में जन्मभूमि कुंभलगढ़ व आसपास में लगा चुके हैं एक लाख फलदार पौधे
 

HARIT PRADESH ABHIYAN: नाम छोटा सा नानजी, काम वटवृक्ष के समान ऊंचा

HARIT PRADESH ABHIYAN: नाम छोटा सा नानजी, काम वटवृक्ष के समान ऊंचा

सूरत. भला कोई सोच सकता है एक छोटा सा संकल्प कभी इतना व्यापक बन जाए कि उसकी छांव में लाखों लोग बैठ सकें और हजारों जीविका भी चला सकें। जी हां…हो सकता है और ऐसा ही संकल्प दक्षिण गुजरात की छोटी सी औद्योगिक नगरी वापी के प्रवासी राजस्थानी नानजी गुर्जर ने 2013 में लिया था और उस पर 2016 से लगातार कार्य कर रहे हैं। उसी का परिणाम है कि अब राजसमंद का कुंभलगढ़ ही नहीं बल्कि आसपास का पूरा क्षेत्र वे हरियालीयुक्त बना चुके हैं और इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
त्याग-बलिदान की मूर्ति पन्नाधाय और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की वीरता की अनगिनत कहानियां कहने वाले राजस्थान में राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ क्षेत्र से चार दशक पहले कमाने-खाने गुजरात के वापी आए नानजी गुर्जर पर अब श्रीनाथजी की कृपा बरस रही है और उनका लिफ्ट निर्माण का कारोबार बेहद अच्छा है। इसी दौरान 2013 में उनके पिताजी का देहावसान हो गया और वे कुंभलगढ़ तहसील के अपने गांव कालिंजर गए तो वहां उन्हें पन्नाधाय के लिए कुछ करने का विचार आया। पढ़ाई-लिखाई भले ही नहीं की लेकिन, परदेस में रहकर कमाने-खाने में होशियार हुए नानजी ने युक्ति लगाई कि इस क्षेत्र से कोई ऐसा अभियान छेड़ा जाए जो कुछ वर्षों बाद ही अपने लाल का बलिदान देने वाली पन्नाधाय से जुड़ जाए। इसके बाद कालिंजर पहाड़ी लेकिन बंजर क्षेत्र होने से उन्होंने यहां फलदार पौधे लगाने की योजना दृढ़ संकल्प के साथ बना ली और फलदार पौधे लगाने और उनकी देखभाल कर पांच-सात वर्ष बाद कमाऊ बनने के लिए क्षेत्र के बेरोजगार युवा जल्द तैयार भी हो गए। बस इस तरह नानजी ने तीन वर्ष बाद मानसून आते ही कर्मभूमि वापी-उमरगांव से जन्मभूमि कुंभलगढ़ तक आशापुरा मानव कल्याण ट्रस्ट का गठन कर निर्मल मेवाड़ पर्यावरण चेतना यात्रा की शुरुआत कर दी।

इस मानसून में 25 हजार, अब तक एक लाख


गत पांच वर्षों से लगातार राजस्थान के राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ तहसील क्षेत्र में पौधारोपण की अलख जगा चुके उद्यमी नानजी गुर्जर हाल के कोरोना काल में भी अपने गांव कालिंजर में है और इस बार 25 हजार फलदार पौधे लगाने की तैयारी ट्रस्ट ने की है। इससे पहले वे पिछले चार साल में 75 हजार पौधे यात्रा के साथ वहां ले जाकर लगवा चुके हैं। यह फलदार व आयुर्वेदिक पौधे वे गुजरात और राजस्थान की नर्सरियों से खरीदते हैं और इन पर अब तक उनका 80 लाख रुपए का खर्चा भी हो चुका है।

यों चली आ रही है पर्यावरण चेतना यात्रा


वर्ष 2016 से जारी यात्रा में प्रकृति प्रेमी और पन्नाधाय के इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत नानजी गुर्जर गुजरात से अपने साथ नींबू, पपीता, करुंदा, आम समेत अन्य फलदार व आयुर्वेदिक पौधे लेकर राजस्थान जाते हैं। वहां पर कुंभलगढ़ की प्रत्येक पंचायत में पति-पत्नी के एक जोड़े को दो-दो पौधे देते हैं। नीबूं, करुंदा आदि के पौधे पांच वर्ष पहले लगाने वाले जोड़ों ने कमाई भी शुरू कर दी है। इसके अलावा अन्य कई लोग अगले दो-तीन साल में लगाए गए पौधों से कमाने लायक बन जाएंगे। इन पौधों की सार-संभाल उन्हीं को करनी रहती है।

क्षेत्र के लिए कुछ बेहतर कर सकूं


पन्नाधाय, महाराणा प्रताप की एतिहासिक भूमि को हरा-भरा व रोजगारपरक बनाने के उद्देश्य से यह अभियान छेड़ा गया है और इसे जन-जन तक पहुंचाना भी लक्ष्य बन चुका है। बस एक और लक्ष्य है कि 8 मार्च पन्नाधाय दिवस के रूप में मनाकर प्रत्येक महिला को गौरवान्वित महसूस होने का कार्य सरकार कर सकती है।
नानजी गुर्जर, अध्यक्ष, आशापुरा मानव कल्याण ट्रस्ट

आठ मार्च को मनाए पन्नाधाय दिवस


मेवाड़ क्षेत्र की महान विभुति पन्नाधाय के प्रति समर्पण भाव के साथ नानजी गुर्जर बताते हैं कि देश और दुनिया में प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस मनाते हैं। सभी भारतीयों के लिए गर्व और खुशी की बात है कि 8 मार्च को ही त्याग-बलिदान की मूर्ति पन्नाधाय का भी जन्मदिन आता है तो उनकी यशोगाथा को देश ही नहीं दुनियाभर में पहुंचाने के लिए भारत सरकार 8 मार्च को पन्नाधाय दिवस के रूप में मनाकर प्रत्येक महिला के सम्मान को कई गुना कर सकती है, क्योंकि प्रत्येक औरत में भी त्याग-बलिदान की कहानी छिपी है।

बना दी पन्नाधाय पंचवटी योजना


राजसमंद जिले के जिला कलेक्ट्रेट परिसर में लोगों को धूप में यहां-वहां खड़े रहते देख नानजी गुर्जर ने पन्नाधाय पंचवटी योजना बनाकर बरगद, नीम, पीपल, आम, गुलमोहर के पेड़ लगाकर पांच स्थानों पर बैठक व्यवस्था तैयार की है। अब यहां लोग धूप में आकर पेड़ की छांव में बैठते हैं। इसी तरह से महाराणा प्रताप के आधिपत्य वाले राजसमंद जिले के अलावा उदयपुर, पाली, भीलवाड़ा व अजमेर जिले की एक-एक तहसील को भी योजना के तहत संवारने का निश्चय इस वर्ष किया है।
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