इस मानसून में 25 हजार, अब तक एक लाख
गत पांच वर्षों से लगातार राजस्थान के राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ तहसील क्षेत्र में पौधारोपण की अलख जगा चुके उद्यमी नानजी गुर्जर हाल के कोरोना काल में भी अपने गांव कालिंजर में है और इस बार 25 हजार फलदार पौधे लगाने की तैयारी ट्रस्ट ने की है। इससे पहले वे पिछले चार साल में 75 हजार पौधे यात्रा के साथ वहां ले जाकर लगवा चुके हैं। यह फलदार व आयुर्वेदिक पौधे वे गुजरात और राजस्थान की नर्सरियों से खरीदते हैं और इन पर अब तक उनका 80 लाख रुपए का खर्चा भी हो चुका है।
यों चली आ रही है पर्यावरण चेतना यात्रा
वर्ष 2016 से जारी यात्रा में प्रकृति प्रेमी और पन्नाधाय के इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत नानजी गुर्जर गुजरात से अपने साथ नींबू, पपीता, करुंदा, आम समेत अन्य फलदार व आयुर्वेदिक पौधे लेकर राजस्थान जाते हैं। वहां पर कुंभलगढ़ की प्रत्येक पंचायत में पति-पत्नी के एक जोड़े को दो-दो पौधे देते हैं। नीबूं, करुंदा आदि के पौधे पांच वर्ष पहले लगाने वाले जोड़ों ने कमाई भी शुरू कर दी है। इसके अलावा अन्य कई लोग अगले दो-तीन साल में लगाए गए पौधों से कमाने लायक बन जाएंगे। इन पौधों की सार-संभाल उन्हीं को करनी रहती है।
क्षेत्र के लिए कुछ बेहतर कर सकूं
पन्नाधाय, महाराणा प्रताप की एतिहासिक भूमि को हरा-भरा व रोजगारपरक बनाने के उद्देश्य से यह अभियान छेड़ा गया है और इसे जन-जन तक पहुंचाना भी लक्ष्य बन चुका है। बस एक और लक्ष्य है कि 8 मार्च पन्नाधाय दिवस के रूप में मनाकर प्रत्येक महिला को गौरवान्वित महसूस होने का कार्य सरकार कर सकती है।
नानजी गुर्जर, अध्यक्ष, आशापुरा मानव कल्याण ट्रस्ट
मेवाड़ क्षेत्र की महान विभुति पन्नाधाय के प्रति समर्पण भाव के साथ नानजी गुर्जर बताते हैं कि देश और दुनिया में प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस मनाते हैं। सभी भारतीयों के लिए गर्व और खुशी की बात है कि 8 मार्च को ही त्याग-बलिदान की मूर्ति पन्नाधाय का भी जन्मदिन आता है तो उनकी यशोगाथा को देश ही नहीं दुनियाभर में पहुंचाने के लिए भारत सरकार 8 मार्च को पन्नाधाय दिवस के रूप में मनाकर प्रत्येक महिला के सम्मान को कई गुना कर सकती है, क्योंकि प्रत्येक औरत में भी त्याग-बलिदान की कहानी छिपी है।
बना दी पन्नाधाय पंचवटी योजना
राजसमंद जिले के जिला कलेक्ट्रेट परिसर में लोगों को धूप में यहां-वहां खड़े रहते देख नानजी गुर्जर ने पन्नाधाय पंचवटी योजना बनाकर बरगद, नीम, पीपल, आम, गुलमोहर के पेड़ लगाकर पांच स्थानों पर बैठक व्यवस्था तैयार की है। अब यहां लोग धूप में आकर पेड़ की छांव में बैठते हैं। इसी तरह से महाराणा प्रताप के आधिपत्य वाले राजसमंद जिले के अलावा उदयपुर, पाली, भीलवाड़ा व अजमेर जिले की एक-एक तहसील को भी योजना के तहत संवारने का निश्चय इस वर्ष किया है।