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चीनी कम- इस बार काली होगी चीन की दीवाली

locationसूरतPublished: Jul 23, 2020 02:03:49 pm

मानसून से लेकर दीवाली तक हर मौके पर हारेगी चीन की अर्थव्यवस्था

चीनी कम- इस बार काली होगी चीन की दीवाली

चीनी कम- इस बार काली होगी चीन की दीवाली

विनीत शर्मा

सूरत. सूरत समेत दक्षिण गुजरात से इस बार की दीवाली पर चीनी अर्थव्यवस्था की मिठाई में चीनी कम ही रहने वाली है। गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से चीन कूटनीतिक ही नहीं आर्थिक मोर्चे पर भी मात खा रहा है। मानसून से लेकर दीवाली तक अकेले सूरत से हर साल औसतन 50 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाले चीन को बड़ा फटका लगने जा रहा है। पूरे दक्षिण गुजरात से यह आंकड़ा 150 करोड़ के पार का है। चीन के विरोध के चलते लोग इस बार देश में बने सामान को ही प्राथमिकता देने का मन बना चुके हैं। शहर के दुकानदार भी इस बार चीन से माल मंगाने में परहेज बरत रहे हैं।
देश में मानसून के साथ ही त्यौहारों का सीजन शुरू हो जाता है। बीते एक दशक से ज्यादा समय से देशी त्यौहारों पर चीनी चमक लगातार बढ़ रही थी। मानसून में छाते चीन से आते हैं तो राखी पर राखियों का रॉ मटीरियल, गणपति व नवरात्रि पर्व पर चीनी आइटम, दीपावली पर रौशनी और पटाखे समेत सबकुछ चीन से ही आ रहा है। दाम में सस्ता होने के कारण आम लोगों तक चीनी सामान ने अपनी पहुंच बना ली थी। अकेले सूरत में मानसून से दीपावली तक करीब 50 करोड़ का मामल चीन से आता रहा है। पूरे दक्षिण गुजरात में छाते से लाइटिंग-आतिशबाजी तक यह आंकड़ा डेढ़ सौ करोड़ पार कर जाता है।
इस बार गलवान घाटी में हुए संघर्ष में 20 जवानों को खोने के बाद सूरत समेत देशभर में चीन के खिलाफ एक मुहिम छिड़ी हुई है। उद्यमियों ने जहां चीनी कंपनियों के साथ अपने करार तोड़ दिए, आम आदमी ने भी चीनी सामान का इस्तेमाल न करने का मन बनाया है। इसीलिए इस बार चीन के हिस्से की मिठाई में चीनी कम ही रहने वाली है। लोगों ने चीनी सामान न खरीदने का मन बनाया तो दुकानदार भी चीनी सामान को अपने यहां नहीं रख रहे। उनका फोकस चीन से मंगाए जा चुके पुराने स्टॉक को ही क्लीयर करने पर रहेगा।

छाते से लाइटिंग तक सब लोकल

मानसून में बारिश शुरू होते ही सड़कों पर चीनी छातों की सेल लगनी शुरू हो जाती थी। इस बार चीनी छाते गायब हैं और लोकल मेड छातों की खरीद जोर पकड़ रही है। राखियों के लिए चीन से आने वाले रॉ मटीरियल की जगह लोकल मटीरियल का इस्तेमाल हो रहा है। लाइटिंग भी चीन की बजाय लोकल बनाने पर फोकस है। प्रदेश में अहमदाबाद लाइटिंग का बड़ा बाजार है और इस बार सूरत के बाजार में अहमदाबाद में बनी लाइटिंग का जोर रहेगा। गणपति और नवरात्रि पर सजाने के लिए चीन में बने आइटम और गिफ्ट आइटम भी इस बार नदारद दिखेंगे। उसकी जगह देशी उत्पादों पर जोर रहने की उम्मीद जताई जा रही है।

इस बार नहीं आया माल

राखियों के लिए रॉ मटीरियल चीन से आता था, जो इस बार नहीं आया। राखी निर्माता स्थानीय मटीरियल से ही राखियां तैयार कर रहे हैं। इस बार चीन का सामान कम ही बाजार में दिखेगा। जिनके पास पुराना स्टॉक है, उसे क्लीयर करने पर जोर देंगे।
नितेश बारडोलीवाला, राखी के थोक विक्रेता, सूरत

लोकल लाइटिंग का दिखेगा असर

इस बार लोकल लाइटिंग का ज्यादा असर दिखेगा। चीन के विरोध के साथ ही इसका टिकाऊपन लोगों को पसंद आने लगा है। सूरत में तो कम लेकिन अहमदाबाद में लाइटिंग का काम प्रदेश में सबसे ज्यादा है। अहमदाबाद की लाइटिंग इस बार दीपावली पर दिखेगी।
जाहिद पटेल, सजावटी लाइट के थोक विक्रेता, सूरत
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