गणेश कालीदास टंडेल की अगुवाई में सोमवार को मछुआरे कलक्टर आद्रा अग्रवाल से मिले और ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि दरिया से बुमला मछली पकडक़र लाने के बाद बंदरगाह पर रस्सी में बांधकर उसे सूखाते हैं। उसे बेचकर परिवार की रोजी रोटी चलती है। बुमला मछली का मौसम सितंबर और अक्टूबर मे रहता है और इस दौरान बड़े पैमाने पर मछुआरे इस मछली को पकड़ते हैं। बाद में यह मछली दरिया में नहीं मिलती है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष बुमला मछली का सीजन मछुआरों के लिए विफल रहा, जिससे मछुआरों को लाखों का नुकसान होगा। मछुआरों ने कहा है कि उनके पास कमाई का दूसरा माध्यम नहीं है। असमय बरसात और तूफान के कारण प्रशासन ने भी उन्हें दरिया में न जाने का आदेश दिया था। किसानों की तर्ज पर मछुआरों को भी सरकार से सहायता मिलनी चाहिए।