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Humanity died : कई बार कॉल किए लेकिन अधिकांश के मोबाइल स्वीच ऑफ मिले

locationसूरतPublished: May 07, 2021 11:33:17 am

Submitted by:

Dinesh M Trivedi

– मर गई मानवता : आखिरी वक्त में अपनों ने कर लिया किनारा
– आधादर्जन कोरोना मरीजों को परिजनों ने भर्ती तो करवाया था, फिर पलट कर देखा ही नहीं, अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं आए
– Called many times to families of covid patients but most of them got mobile switch off in surat – six families were admitted corona patients in covid hospital then did not turn around not even come for the last rites.

Humanity died : कई बार कॉल किए लेकिन अधिकांश के मोबाइल स्वीच ऑफ मिले

Humanity died : कई बार कॉल किए लेकिन अधिकांश के मोबाइल स्वीच ऑफ मिले

दिनेश एम.त्रिवेदी


सूरत. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से सूरत समेत देश के कई शहरों में कोहराम सा मचा है। हर दिन अपने चहेतों की चिंता में अस्पताल, ऑक्सीजन, इंजेक्शन व दवाओं की व्यवस्था के लिए लोग रोते बिलखते दर-दर भटकते हुए नजर आ रहे हैं। इसके ठीक उलट विधि की विडम्बना देखिए कोरोना का शिकार हुए कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं जिनकी खैर-खबर लेने वाला भी कोई नहीं हैं। यहां तक कि उनकी मौत के बाद अंतिम संस्कार करने के लिए भी कोई नहीं आ रहा है।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अब तक आधा दर्जन ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें मरीजों को अस्पताल में छोड़ कर परिजनों ने फिर सुध नहीं ली। न्यू सिविल अस्पताल परिसर में बनाए गए विशेष कोविड अस्पतालों में सेवा दे रहे इमरान ने बताया कि कोविड अस्पताल के बाहर अधिकतर मरीजों के परिजन उन्हें व उनके साथियों देखते ही अपने चहेतों का हालचाल पूछने लग जाते हैं। वे उन्हें अपनी जानकारी के हिसाब से उनकी मदद भी करते हैं।
Humanity died : कई बार कॉल किए लेकिन अधिकांश के मोबाइल स्वीच ऑफ मिले
अस्पताल में कई मरीज ऐसे भी हैं जिनकी खैर-खबर लेने वाला भी कोई नहीं है। जिंदगी के अंतिम पड़ाव में इन मरीजों के बारे में कोई पूछने भी नहीं आता है। पिछले करीब डेढ़ माह में ऐसे छह मरीज कोरोना से जिंदगी की जंग हार कर दुनिया से विदा हो चुके हैं। परिजन ही उन्हें अस्पताल में भर्ती करने के लिए आए थे। उनकी मौत के बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से हमने कई बार उनके परिजनों से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनके फोन स्विच ऑफ ही मिले।
संपर्क हुआ भी तो बात नहीं की। जब कोई प्रतियुत्तर नहीं मिला तो अस्पताल प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई की है। निर्धारत समय तक रखने के बाद इन लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया गया। कोरोना काल में इन शवों को अधिक समय तक रखा नहीं जा सकता था। उनका अंतिम संस्कार करना भी जरुरी था।
उन्हंोंने बताया कि वे पेशे से टेम्पो चालक है और सदभावना प्रगति मंडल से जुड़े है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शहर में आने के बाद से अपने मंडल के सदस्यों की टीम के साथ सेवा दे रहे है। वह अस्पताल के बाहर मरीजों केे परिजनों की हर तरह से मार्गदर्शन मदद करने की जिम्मेदारी निभा रहे है।
उनकी टीम के सदस्य अंदर कोरोना से जिंदगी की जंग हारने वालों के शवों की कोविड गाइड लाइन के मुताबिक पैकिंग कर उन्हें शव वाहिनियों के जरिए श्मशान पहुंचाने में जुटे है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के जोर पकडऩे के बाद से उनकी टीम के करीब 40 सदस्यों अलग अलग शिफ्टों में सेवा दे रहे है।

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