स्थानीय कपड़ा बाजार में पिछले कुछ समय से हैवी आयटम का चलन बढऩे से इन उत्पाद को अधिक आकर्षक बनाने के लिए व्यापारी भरत काम (हैंडवर्क) को विशेष केंद्रित रखते हैं। यूं तो भरत काम सूरत शहर के आसपास के गांव-कस्बों में भी बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन सौराष्ट्र के भरत काम में सफाई होने से उसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इसके लिए प्रतिदिन सैकड़ों पोटलों (पार्सल) में हैवी आयटम की साड़ी, लहंगा-चोली, ड्रेस बड़े पैमाने पर सौराष्ट्र के गांव-कस्बों तक भेजी जाती है। सूरत से सौराष्ट्र तक भरत काम के लिए कच्चा माल भेजने से लेकर उसके तैयार होकर वापस आने तक की पूरी चेन एजेंट के तौर पर कार्यरत है और इससे सैकड़ों लोगों की आजीविका बतौर कमीशन चल रही है। इतना ही नहीं लग्जरी बसों से भेजे जाने वाले पोटलों के किराये से बस संचालकों को भी प्रतिदिन अतिरिक्त आय हासिल होती है।
मानसून रहता है फीका
सौराष्ट्र के राजकोट, अमरेली, भावनगर, जूनागढ़ आदि जिलों के गांव-कस्बों में प्रतिदिन सूरत से जाने वाली लग्जरी बसों में सैकड़ों पोटले कच्चा माल जाता है, लेकिन मानसून के दौरान इसमें थोड़ी कमी देखने को मिलती है। जानकार बताते हैं कि साल के आठ महीने में ज्यादातर सौराष्ट्र के गांव-कस्बों की महिलाओं व युवतियों को घर बैठे भरत काम मिल जाता है और वे निपुणता से उसे पूरा करती हैं। मगर मानसून के दौरान वे मूल व्यवसाय कृषि पर केंद्रित हो जाती हैं और परिवार के सदस्यों का सहयोग करती हैं।
यूं जाकर आता है माल
स्थानीय कपड़ा बाजार से व्यापारियों के यहां जॉबवर्क के लिए सैकड़ों एजेंट कच्चा माल उठाते हैं और सूरत के आसपास के गांवों में महिलाओं से भरत काम करवाते हैं। वहीं, हैवी आयटम (5 हजार से अधिक स्टोन) का भरत काम सफाई व सलीके से करवाने के लिए कच्चा माल सौराष्ट्र के गांवों में लग्जरी बसों के जरिए भेजते हैं। दूसरे दिन सुबह गांवों में पहले से तय एजेंट पोटले लेकर कच्चा माल घरों में भरत काम के लिए महिलाओं के पास पहुंचाता है। ऐसा माल वहां से तैयार होकर तीसरे-चौथे दिन वापस सूरत आ जाता है।
अनुमानित आंकड़े
कपड़ा व्यापारियों व एजेंट की मानें तो स्थानीय बाजार का 20 फीसदी कच्चा माल स्टोन वर्क के भरत काम के लिए सौराष्ट्र के गांव-कस्बों में लग्जरी बसों से भेजा जाता है। सूरत से प्रतिदिन 400-500 बसें सौराष्ट्र जाती हैं और इनमें से करीब डेढ़ सौ-दो सौ बसों की डिग्गी में 1० से 15 पोटले कच्चे माल के रहते हैं। एक पोटले में औसत 50 पीस भरे होते हैं और यूं सूरत से रोजाना सौराष्ट्र में भरत काम के लिए डेढ़ सौ से दो सौ रुपए किराए से 1500 से 2000 पोटले पहुंचाए जाते हैं। ये वहां से तीन-चार दिन में काम पूरा होने के बाद वापस सूरत आ जाते हैं।
विश्वास पर चल रहा सबकुछ
सूरत से सौराष्ट्र भेजे जाने वाला कच्चा माल अपेक्षाकृत महंगा होता है और जाकर आने तक बीच में इसकी कोई देखभाल करने वाला नहीं होता। यह कारोबार विश्वास की डोर पर पूरी तरह से टिका है और कभी-कभार पोटला या साड़ी-लहंगा-ड्रेस गुम होने की शिकायत के अलावा बड़ा मामला सामने नहीं आया।
नवलेश गोयल, कपड़ा व्यापारी, न्यू बोम्बे मार्केट
नग आधारित भुगतान प्रक्रिया
सौराष्ट्र के गांवों में हजारों महिलाएं व युवतियां हैवी आयटम के कच्चे माल पर भरत काम सफाई व सलीके से करती हैं। 5 हजार से अधिक स्टोन वाले इस भरत काम के लिए उन्हें स्टोन के नगों की संख्या के आधार पर भुगतान किया जाता है। इसके लिए यहां के जॉबवर्क एजेंट वहां अलग से एजेंट रखते हैं।
जसवंत पांडव, जॉबवर्क एजेंट