scriptMNREGA में छिपा है अर्थव्यवस्था में उछाल का मंत्र | If MNREGA connects with industry, wheel of economy will move faster | Patrika News

MNREGA में छिपा है अर्थव्यवस्था में उछाल का मंत्र

locationसूरतPublished: Jun 18, 2020 11:45:59 am

मनरेगा से जुड़ेंगे उद्योग तो तेजी से घूमेगा अर्थव्यवस्था का पहिया, एसोचेम ने मंदी से उबरने की दी सलाह, छूटे रोजगार फिर मिलने की जताई उम्मीद

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मनरेगा में छिपा है अर्थव्यवस्था में उछाल का मंत्र

विनीत शर्मा

सूरत. कोरोनाकाल में लॉकडाउन ने अर्थतंत्र के पहिए को चोक कर दिया है। इससे हर तरफ मंदी का माहौल है। ऐसे में मनरेगा को कृषि परियोजनाओं और उद्योगों से भी जोड़ दिया जाए तो अर्थव्यवस्था का पहिया तेजी से घूमेगा। केंद्र को मनरेगा में उद्योगों को भी शामिल करने की सलाह देते हुए एसोचेम ने इसे मंदी से उबरने का मंत्र बताया है। दक्षिण गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इडस्ट्रीज समेत दूसरे और औद्योगिक संगठनों का भी मानना है कि मनरेगा के रास्ते कृषि और उद्योगों में तत्काल निवेश से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। ऐसा हुआ तो पटरी से बार-बार उतर रहा सूरत विकास की राह पर सरपट दौडगा।

एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने पिछले दिनों केंद्र सरकार को सलाह दी थी कि उद्योगों को मंदी से उबारने में मनरेगा योजना एक अहम टूल साबित हो सकती है। सूद के प्रस्ताव को अभी केंद्र ने तो हरी झंडी नहीं दी है, लेकिन सूरत के उद्यमियों ने हाथोंहाथ लिया है। उनका मानना है कि लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधे पूरी तरह ठप हो गए हैं और उन्हें नए सिरे से दोबारा खड़ा करने की चुनौती सामने है। ऐसे में यदि मनरेगा को उद्योगों से जोड़ दिया जाए तो अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। साथ ही जीडीपी को बेहतर करने में भी मनरेगा अहम भूमिका निभा सकता है।

आर्थिक तंगी से जूझ रहे उद्योग

उद्यमियों के मुताबिक नोटबंदी, जीएसटी और अब कोरोना लॉकडाउन ने उद्योगों को जमीन पर ला दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर सूरत पर पड़ा है। ग्रामीण कार्यों में एक सीमा तक ही मनरेगा प्रभावी साबित हो रही है। उद्योगों से जोड़कर इसे विस्तार दिया जा सकता है। इससे कृषि लॉजिस्टिक को भी बल मिलेगा, जिसका सीधा फायदा किसानों को होगा।

एकीकरण से मजबूत होगी मनरेगा

जानकार पूरी सावधानी के साथ मनरेगा को उद्योगों से जोडऩे का समर्थन कर रहे हैं। उनके मुताबिक सीमित संसाधनों के साथ इसकी पहल की जानी चाहिए। मनरेगा लघु और मध्यम उद्योगों के लिए संजीवनी का काम करेगी।

एक पक्ष यह भी

जानकारों के मुताबिक औद्योगिक राज्यों में मजदूरों का प्रबंधन उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से होता है। मनरेगा को उद्योगों से जोड़ा गया तो इन प्रदेशों में भी लघु एवं मध्यम उद्योग विकसित होंगे। इससे मजदूरों का पलायन रुकेगा जिसका खामियाजा महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे प्रदेशों को भुगतना पड़ सकता है।

सरपट दौड़ेगा सूरत

नोटबंदी, जीएसटी और अब लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार सूरत पर पड़ी है। उद्योगों को मनरेगा से जोड़ा जाता है तो गुजरात के अर्थतंत्र की धुरी बन चुके हीरा और कपड़ा कारोबार को खासा फायदा होगा। उद्योगों का मनरेगा में शामिल होना शहर की अर्थव्यवस्था के लिए ऑक्सीजन का काम करेगा।

फायदे में रहेगा सूरत

अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छा सुझाव है। इससे उद्योगों को सरकार का सीधा सपोर्ट मिलेगा। इसके लिए फार्मूला तय करना होगा। मनरेगा में उद्योगों के शामिल होने का सबसे ज्यादा फायदा सूरत को होगा।
केतन देसाई, प्रमुख, दक्षिण गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, सूरत

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