सूरत

समय रहते नहीं समझे संकेत तो होगी मुश्किल

जिस तरह से कपड़ा बाजार में संक्रमितों के सामने आने का सिलसिला शुरू हुआ है, उसने आने वाले दिनों की इन मुसीबतों की नींव रख दी

सूरतJul 06, 2020 / 08:19 pm

विनीत शर्मा

समय रहते नहीं समझे संकेत तो होगी मुश्किल

विनीत शर्मा

सूरत. आने वाला वक्त कपड़ा कारोबारियों का कड़ा इम्तिहान लेने जा रहा है। शनिवार को सूरत आए मुख्यमंत्री विजय रुपाणी संकेतों में बहुत कुछ कह गए हैं। समय रहते कपड़ा कारोबारियों ने इन संकेतों को नहीं समझा तो आने वाले दिनों में मुश्किल पेश आनी तय है। जिस तरह से कपड़ा बाजार में संक्रमितों के सामने आने का सिलसिला शुरू हुआ है, उसने आने वाले दिनों की इन मुसीबतों की नींव रख दी है। कपड़ा कारोबारियों की लापरवाही इस नींव को और मजबूती दे रही है।

देशभर में कोरोना का माहौल अनुकूल हुए बगैर टैक्सटाइल बाजारों को खुलवाने का दांव अब उलटा पड़ता दिख रहा है। बाहर की मंडियों की परिस्थिति को समझे बगैर ही कपड़ा कारोबारियों ने पहले तो टैक्सटाइल मार्केट्स खोलने की जिद पकड़ी। बाजार खुल गए तो मनपा ने जो एसओपी तय की थीं, उन पर अमल को लेकर मार्केट्स ने गंभीरता से नहीं लिया। यह लापरवाही इतनी भारी पड़ी कि पहले से कोरोना के राडार पर रहा कपड़ा मार्केट लगातार हीरा कारखानों की राह पर आगे बढ़ रहा है। हीरा कारखानों में काम कर रहे श्रमिक तो शहर के कुछ खास इलाकों से जुड़े हैं, लेकिन कपड़ा कारोबारियों के संपर्क शहरभर में जहां-तहां बिखरे पड़े हैं। कपड़ा बाजार में आ रहा संक्रमण इनके सहारे शहरभर में अपने लिए सुरक्षित ठिकाने बनाएगा। मनपा प्रशासन के लिए हीरा श्रमिकों को ही साध पाना चुनौती साबित हो रहा है, ऐसे में कपड़ा कारोबारियों के संपर्कों तक पहुंचना तो मनपा टीम के लिए संभव ही नहीं है।
लॉकडाउन के बाद जैसे-तैसे खड़ा होने की कोशिश कर रहा कपड़ा कारोबार एक बार फिर पटरी से उतरा तो संभलना आसान नहीं है। हीरा उद्योग के बाद अब कपड़ा बाजार में भी संक्रमण की शुरुआत हो चुकी है। अभी दुकानें सील होने का सिलसिला शुरू हुआ है। धीरे-धीरे कपड़ा मार्केट्स के बंद होने की बारी आएगी। मुख्यमंत्री ने सूरत में कोरोना को साफ करने के लिए प्रशासन को खुली छूट दे दी है। खुद भी कहकर गए हैं कि हालात नहीं सुधरते तो हीरा और कपड़ा कारोबारियों को सख्त फैसलों के लिए तैयार रहना होगा। यह संकेत है कि आने वाले दिनों में व्यापारी खुद नहीं सुधरे तो कारोबारी गतिविधियों के लिए सीमित लॉकडाउन का सामना करना पड़ सकता है। इस बार ऐसी स्थिति बनी तो पिछले दिनों बची-खुची जमापूंजी खर्च कर जो मजमा जमाया था वह भी उखड़ते देर नहीं लगेगी।

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