पुलिसकर्मियों ने उसे न्यू सिविल अस्पताल भेज दिया। जानकारी के अनुसार पीडि़त महिला का दस साल पूर्व पति से तलाक हो गया था। तब से वह अपनी तेरह वर्षीय पुत्री के साथ अपने माता पिता के घर आ गई थी। उसके बाद से वह उखड़ी हुई रहती थी। छोटी मोटी नौकरी भी करती थी। शुक्रवार को वह काम से घर लौटी तो उसने नींद दवा खा ली थी।
घर लौटने पर पिता ने घर खर्च के लिए रुपए मांगे। इस बात को लेकर पिता से विवाद हुआ तो उसने डिटॉल पी लिया। उसके बाद रात आठ बजे माता-पिता और अपनी पुत्री को घर से बाहर निकाल दिया। दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। अनिष्ट की आशंका चलते उसकी पुत्री ने तुंरत पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर मदद मांगी। कंट्रोल रूप से सूचना मिलने पर पीसीआर-33 के इंचार्ज पुलिसकर्मी दिलीपसिंह व उनके साथी तुंरत मौके पर पहुंच गए।
उन्होंने एक दो बार आवाज दी और उसके बाद घर का दरवाजा तोड़ कर अंदर दाखिल हो गए। अंदर महिला फांसी के फंदे से झूल रही थी। उन्होंने तुंरत महिला को पैरों से पकड़ लिया। वह जिंदा थी उसे तुंरत 108 से न्यू सिविल अस्पताल भिजवाया। प्राथमिक उपचार के बाद उसकी काउन्सिलिंग शुरू की।
पहले भी कई बार किया आत्महत्या का प्रयास पुलिस सूत्रों के मुताबिक महिला पहले भी कई बार दवाएं आदि खाकर आत्महत्या का कोशिश कर चुकी है। लॉकडाउन के दौरान घर खर्च के रूपयों को लेकर पिता के साथ उसका विवाद हो गया था। इस पर वह पिता के खिलाफ शिकायत लेकर अठवालाइन्स थाने पहुंची थी।
उस दौरान उसने थाने में भी कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था। पुलिस ने उसे अस्पताल भिजवाया था और तबीयत सुधरने पर उसे व उसके पिता को समझा कर मामला शांत किया था।