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मनपा के बजट में शामिल, फिर भी अब तक 326 वर्गमीटर जगह भी नहीं मिली महिला बाजार को

locationसूरतPublished: Jan 14, 2019 11:14:39 pm

जेंडर बजट से आमतौर पर परहेज बरतते रहे मनपा प्रशासन ने वित्त वर्ष २०१८-१९ में महिला बाजार का प्रस्ताव रखा था। वित्त वर्ष समाप्त होने को है, लेकिन मनपा…

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सूरत।जेंडर बजट से आमतौर पर परहेज बरतते रहे मनपा प्रशासन ने वित्त वर्ष २०१८-१९ में महिला बाजार का प्रस्ताव रखा था। वित्त वर्ष समाप्त होने को है, लेकिन मनपा प्रशासन शहरभर में महिला बाजार के लिए जगह चिन्हित नहीं कर पाया है। बोर्ड में बराबरी के साथ मौजूद आधी आबादी भी महिलाओं के लिए बाजार को लेकर गंभीर नही है। लोगों के लिए यह हैरानी की बात हो सकती है कि ३२६ वर्गकिमी क्षेत्रफल वाले शहर में सूरत महानगर पालिका महिलाओं के लिए ३२६ वर्गमीटर की जगह भी नहीं खोज पाई।

मनपा आयुक्त एम. थेन्नारसन ने वित्त वर्ष २०१८-१९ के लिए पेश ड्राफ्ट बजट में महिला संचालित बाजार के प्रस्ताव को जगह दी थी। सामान्य सभा से बजट प्रस्ताव पारित होने के बाद साफ हो गया था कि मनपा प्रशासन इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। बजट पर चर्चा के दौरान पार्षद जगदीश पटेल ने सदन को आश्वस्त किया था कि सत्तापक्ष महिला सशक्तीकरण में पीछे नहीं है और बजट में महिला बाजार के प्रस्ताव का समर्थन करता है। जब पटेल महापौर बने तो यह उम्मीद बंधी थी कि अब यह काम आगे बढ़ेगा।

वित्त वर्ष के महज तीन महीने शेष हैं और मनपा प्रशासन ३२६ वर्गकिमी क्षेत्रफल में से महिला बाजार के लिए जमीन का एक टुकड़ा तलाश नहीं कर पाया है। आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहीं महिला पार्षद सदन में बराबरी की हिस्सेदारी के बावजूद महिला बाजार के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही हैं।

हालांकि बजट में महिला बाजार के कंसेप्ट को शामिल कराने में भाजपा और कांग्रेस, दोनों पक्ष की महिला पार्षदों ने अपने स्तर पर प्रयास किए थे। शहर की आधी आबादी को चिंता इस बात की है कि वित्त वर्ष पूरा होने के बाद कहीं यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में न चला जाए।

महज कागजी घोड़े दौड़े

महिला बाजार को बजट में जगह मिलने के बाद मनपा प्रशासन ने कागजी घोड़े खूब दौड़ाए। मनपा के हाउसिंग विभाग ने हर जोन में पत्राचार कर महिला बाजार के लिए जगह की मांग की। कहीं से कोई जवाब नहीं आने पर जोन अधिकारियों को इस बात की ताकीद नहीं की गई कि बजट में शामिल प्रस्ताव के लिए हर हाल में जगह चिन्हित की जाए। ऐसा नहीं है कि मनपा के पास किसी जोन में जगह की कमी है या नई जगहों पर कोई नया प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया गया। महिला बाजार को लेकर मनपा प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की असंवेदनशीलता बताती है कि महिलाओं को लेकर गंभीरता बरतने को कोई तैयार नहीं है।

राजस्थान पत्रिका ने की थी पहल

राजस्थान पत्रिका ने २३ दिसंबर, २०१७ के अंक में ‘विकास की शर्त है जेंडर बजट’ टिप्पणी प्रकाशित की थी। इसके बाद शहर की महिलाओं ने बजट में अपने हिस्से के लिए माहौल बनाना शुरू किया था। शहर की कामकाजी महिलाओं और गृहिणियों ने पत्रिका से बातचीत में महिलाओं के लिए महिला संचालित बाजार की जरूरत बताई थी। उस वक्त महिलाओं ने कहा था कि पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के बजट वाली मनपा में जेंडर बजटिंग पर भी फोकस होना चाहिए। मनपा के बजट में जेंडर बजटिंग की जरूरत पर बल देते हुए शहर की महिलाओं की महिलाओं के लिए महिला संचालित बाजार की मांग के समर्थन में पत्रिका ने दो जनवरी के अंक में ‘महिलाओं को चाहिए अपना बाजार, जहां सब उनके हाथ में हो’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की। इसमें भाजपा और कांग्रेस की महिला पार्षदों से भी संवाद किया गया था। उन्होंने इस मुहिम को समर्थन दिया था। पत्रिका ने १३ जनवरी के अंक में फिर ‘महिला जनप्रतिनिधियों से मांगा समर्थन’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर महिलाओं की मुहिम को जगह दी थी। इसका असर यह रहा कि मनपा में विभिन्न समितियों की चेयरमैन ने महिला संचालित बाजार के लिए आयुक्त को पत्र लिखे।

महिलाओं ने दिया था कंसेप्ट


महिलाओं ने इस तरह के बाजार को उनके सम्मान और सुरक्षा से जुड़ा बताते हुए कहा था कि यह बाजार पूरी तरह महिला संचालित होना चाहिए, जहां पार्किंग और गार्ड में भी पुरुष चेहरा दिखाई नहीं दे। महिलाओं ने इसके फायदे गिनाते हुए कहा था कि इस तरह के बाजार से महिलाओं को भीड़भाड़ वाले बाजार में होने वाली छेडछाड़ से निजात मिलेगी। साथ ही महिलाओं की निजी जरूरत का सामान वह बिना झिझक खरीद सकेंगी।

विनीत शर्मा

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