scriptआत्महत्या के मामले में पति को सात साल की कैद | In the case of suicide, husband gets imprisoned for seven years | Patrika News

आत्महत्या के मामले में पति को सात साल की कैद

locationसूरतPublished: Oct 09, 2018 10:03:21 pm

दहेज प्रताडऩा से त्रस्त होकर लिंबायत की विवाहिता ने की थी आत्महत्या

logo

आत्महत्या के मामले में पति को सात साल की कैद

सूरत. दहेज प्रताडऩा से त्रस्त होकर विवाहिता के आत्महत्या करने के तीन साल पुराने मामले में सेशन कोर्ट ने आरोपित पति को दोषी मानते हुए सात साल की कैद और 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

मूलत: व्यारा कोलीवाड़ और यहां लिंबायत खानपुरा निवासी एजाज शा युनूस शाह पर पत्नी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप था। आरोप के मुताबिक एजाज की शादी वर्ष 2014 में भाठेना रजानगर निवासी आसिफा के साथ हुई थी, लेकिन शादी के बाद पति उसे दहेज के लिए प्रताडि़त करने लगा। प्रताडऩा से त्रस्त होकर शादी के एक साल के दौरान ही आसिफा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आसिफा की मां की शिकायत पर लिंबायत पुलिस ने प्रताडऩा और आत्महत्या के लिए मजूबर करने का मामला दर्ज कर पति एजाज को गिरफ्तार कर लिया था। चार्जशीट पेश होने के बाद से मामले की सुनवाई सेशन कोर्ट में चल रही थी। सुनवाई के दौरान लोकअभियोजक दीपेश दवे आरोपों को साबित करने में सफल रहे। मंगलवार को अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपित एजाज शा को पत्नी को प्रताडि़त करने और आत्महत्या के लिए मजूबर करने का दोषी मानते हुए सात साल की कैद और 15 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना नहीं भरने पर एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।


पालीताणा पुलिस ने अभियुक्तों को कोर्ट में किया पेश , कोर्ट ने जारी किया था अवमानना नोटिस


सूरत. मारपीट के मामले में वारंट जारी करने के बावजूद कार्रवाई नहीं करने पर पालीताणा पुलिस के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी होने के बाद मंगलवार को पुलिस ने दो महिला अभियुक्तों को पकड़ कर कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

डभोली चार रास्ता गोविंदनगर निवासी सुभाष कोली ने पत्नी समेत ससुराल पक्ष के लोगों के खिलाफ मारपीट की शिकायत दर्ज करवाई थी। आरोप के मुताबिक जब वह परिजनों के साथ मिलकर पत्नी को लेने गया तो उन पर पत्नी और सास और सालों ने हमला कर दिया। सुभाष की शिकायत पर पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जमानत पर छोड़ दिया था। बाद में प्राथमिकी में पुलिस ने आइपीसी की धारा 326 शामिल की। इस धारा के तहत दस साल से अधिक कैद का प्रावधान होने से अभियोजन पक्ष की ओर से अभियुक्तों की जमानत रद्द कर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने की कोर्ट से मांग की गई। हालांकि सुनवाई के दौरान अभियुक्तों ने कोर्ट में पेश होना बंद कर दिया, जिस पर कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था, लेकिन पालीताणा पुलिस ने अभियुक्तों तक वारंट नहीं पहुंचाया और न ही कोर्ट को कोई जानकारी दी। इसे लेकर कोर्ट ने पालीताणा पुलिस के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर पेश होने का आदेश दिया था। मंगलवार को पालीताणा पुलिस ने इस मामले में अभियुक्त माता-पुत्री जागृति बाबरिया और शांतु बाबरिया को पकड़ कर कोर्ट के समक्ष पेश किया। दोनों की ओर से जमानत याचिका पेश की गई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता अश्विन जोगडिय़ा ने दलीलें पेश कर दोनों को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की। कोर्ट ने दोनों की याचिका नामंजूर कर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो