गुजरात में 15 मार्च को कोरोना की एंट्री हुई थी। उसके बाद से अब तक कोरोना महामारी का सामना गुजरात कर रहा है। इस बीच कोरोना की दूसरी घातक लहर भी देखने मिली, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। श्मशानों में शवों के अंतिम संस्कार के लिए 15 से 20 घंटों तक का इंतजार करना पड़ा था। किसी ने पिता तो किसी ने माता, भाई, बहन को खोया। बाल संरक्षण अधिकार आयोग ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी में पता चला की कोरोना के दो साल में देश में 1,47,492 बच्चे ऐसे हैं कि जिनके माता – पिता में से कोई एक या दोनों की कोरोना से मौतें हुईं हैं। इनमें सबसे अधिक 24405 बच्चे ओडिशा तथा 19623 बच्चे महाराष्ट्र के शामिल हैं। जबकि गुजरात में यह आंकड़ा 14770 का है। वहीं राजस्थान में 6827 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने माता-पिता में से कोई एक या दोनों को खोया है। गुजरात की बात करे तो 15 जनवरी, 2020 से 11 जनवरी, 2022 तक 14770 बच्चों ने कोरोना के कारण अपने सिर से माता-पिता का साया खोया है। यानी कुल प्रतिदिन 22 से अधिक बच्चे ऐसे रहे, जिनके माता-पिता में से किसी एक या दोनों की कोरोना के कारण मौत हो गई।
8 से 13 साल के बच्चे सबसे अधिक जिनके सिर से छीन गई छाया
एनसीपीसीआर के मुताबिक देश में कोरोना से माता-पिता दोनों में से कोई एक या दोनों को खोने वाले कुल बच्चों की संख्या 1,47,492 हैं। इनमें सबसे अधिक 59,010 बच्चे 8 से 13 साल की उम्र के हैं। वहीं, 4-7 साल के 26,080, 14 से 15 साल के 22,763 और 16 से 18 वर्ष 22626 बच्चे हैं।
माता-पिता को खोने वाले बच्चों की यह हैं स्थिति
एनसीपीसीआर के मुताबिक कोरोना के कारण जिन बच्चों के 1,25,205 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता या पिता दोनों में से किसी एक की कोरोना से मौत हुई है और वह अब माता या पिता के साथ रह रहे हैं। वहीं 1529 बच्चे बालगृह, 19 बच्चे आश्रमगृह, 188 बच्चे अनाथ आश्रमों में, 66 बच्चे गोद लेने वाली एजेंसियों में तथा 39 बच्चे छात्रालयों में रह रहे हैं।
किस राज्य में कितने बच्चों के सिर से छीन गया साया
राज्य बच्चों की संख्या
ओडिशा 24405
महाराष्ट्र 19623
गुजरात 14770
तमिलनाडू 11014
उत्तरप्रदेश 9247
आंध्रप्रदेश 8760
मध्यप्रदेश 7340
प.बंगाल 6835
दिल्ली 6629
राजस्थान 6827