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Patrika Campaign: साइकिल चला सेहत के साथ सहेज रहे पेट्रोल-डीजल भी, लोगों के लिये प्रेरणा बन रहे ये उदयपुरवासी

locationसूरतPublished: Apr 05, 2017 01:48:00 pm

Submitted by:

madhulika singh

देश में कई जगह कुछ लोग पर्यावरण संरक्षण की सोच के साथ साइकिल चला रहे हैं तो कुछ डॉक्टर्स की सलाह पर इसे अपनाए हुए हैं। वहीं कई लोगों एेसे भी हैं जो मौज-शौक से ही साइकिल राइड कर रहे हैं, उन्हें अनजाने में ही दोहरा लाभ मिल रहा है।

देश में कई जगह कुछ लोग पर्यावरण संरक्षण की सोच के साथ साइकिल चला रहे हैं तो कुछ डॉक्टर्स की सलाह पर इसे अपनाए हुए हैं। वहीं कई लोगों एेसे भी हैं जो मौज-शौक से ही साइकिल राइड कर रहे हैं, उन्हें अनजाने में ही दोहरा लाभ मिल रहा है। यानी, अपने शरीर को चुस्त-दुरस्त रखने के साथ वे कुदरत को भी सेहतमंद कर रहे हैं। हरेक को इस बात की सच्चाई पता है कि इसके परिणाम हर दृष्टि से बेहतर ही रहेंगे। बावजूद इसके आमजन चाहकर भी अपनी दिनचर्या से जोड़ नहीं पा रहा।
 विदेशों में कई जगह लोग स्वैच्छा से साइकिल चलाते हैं। हमारे देश में भी परदेसी मेहमान पर्यटन स्थलों पर साइकिल से ही घूमते नजर आ जाते हैं। हमारे यहां भी कई एेसे रोल मॉडल हैं जो बरसों से साइकिल राइड कर न केवल खुद की सेहत का ख्याल रख रहे हैं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा के साथ जाने-अनजाने पेट्रोल-डीजल भी बचा रहे हैं। 
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बचपन से चला रही साइकिल

घासा के राजकीय बालिका विद्यालय में शारीरिक शिक्षक मीनल शर्मा को बचपन से साइकिल चलाने का शौक है। जिसे उन्होंने स्कूल-कॉलेज से लेकर अब तक नहीं छोड़ा है। वे कहती हैं कि बात व्हीकल अफोर्ड कर पाने या न कर पाने की नहीं है, अहम बात यह है कि हम समाज और प्रकृति को क्या लौटा रहे हैं। 
मीनल बताती हैं कि बहुत मन करता है कि ड्यूटी पर भी साइकिल से ही जाऊं लेकिन मजबूरी है कि दूरी ज्यादा है। फिर भी शहर और आसपास रोजमर्रा के काम में पांच-सात किलोमीटर साइकिल तो चल ही जाती है। हां, मेरी इस आदत के किस्से सुनकर रिमोट एरिया से स्कूल पढऩे आने वाली कोमल, किंजल, खुशी, ईशा, काजल और पूजा जैसी कई छात्राएं भी रोजाना 10-12 किलोमीटर साइकिल चलाने लगी हैं।
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साइकिल पर जाते हैं ऑफिस

एेसे ही एक और शख्स हैं 56 वर्षीय डॉ.शरद अयंगर। वे चंूकि चिकित्सा के पेशे से जुड़े हैं तो जाहिर तौर पर हैल्थ अवेयरनेस की दृष्टि से ही साइकिल राइड कर कर रहे हैं। लेकिन, घर में सभी तरह के वाहन संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद रोजाना वर्क प्लेस पर साइकिल से ही जाने का जज्बा इनको औरों से जुदा करता है। शरद का मानना है कि बढ़ती उम्र में सेहत का बिगडऩा आम बात है। लोग नियमित व्यायाम भी नहीं कर पाते हैं। 
एेसे में फिटनेस के लिए रूटीन लाइफ में अलग से समय निकाल पाना बड़ा मुश्किल काम होता है। यही सोचकर मैंने साल 2009 से यह तय किया कि घर से ऑफिस का सफर साइकिल से ही तय करूं। हां, गर्मी के मौसम, ज्यादा भीड़ और पॉल्यूशन में थोड़ी दिक्कत जरूर पेश आती है। बाकी हर दृष्टि से साइक्लिंग करना फायदेमंद ही है। 

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