जानकारों के मुताबिक बगैर तैयारी शहर को कंटेनर फ्री बनाने की मुहिम सूरतीयों पर भारी पड़ रही है। पहले लोगों को जागरूक करना था, उसके बाद कंटेनर हटाने चाहिए थे। कंटेनर हटाने के बाद भी कचरा तो बाहर निकलेगा, यह मनपा अधिकारी भी जानते थे। इसके बावजूद कंटेनर हटाने के बाद निकलने वाले कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था नहीं की गई। यही वजह है कि पूरा शहर कचरे से अटा पड़ा है।
शहर को कंटेनर फ्री बनाने के बाद मनपा प्रशासन को यह समझ नहीं आ रहा है कि शहर के ओपन स्पेस को कचरा फ्री कैसे किया जाए। रास्ते हों या सोसायटियों के आंतरिक रास्ते या फिर ब्रिज और फ्लाइओवर, हर तरफ कूड़ा-करकट और कचरे का साम्राज्य है। नाइट ब्रशिंग स्टाफ रात को जो कचरा समेटता है, उसे व्यवस्थित उठाने की व्यवस्था भी मनपा के पास नहीं है। ऐसे में कंटेनर फ्री बनाने के फेर में पूरा शहर कचरे के ढेर में तब्दील हो गया है। शहर की हालत इन दिनों ऐसी है कि जहां हाथ रख दो, वहीं दर्द है।
नहीं लग रहे हैं वाहनों के दो फेरे शहर को कंटेनर फ्री बनाने के साथ ही मनपा आयुक्त ने कचरा उठाने के लिए वाहनों के दो फेरे लगाने की व्यवस्था की थी। यह व्यवस्था कागजों पर ही सिमट कर रह गई। शहर की अधिकांश सोसायटियों में कचरा उठाने के लिए कचरा गाडिय़ों ने दो फेरे शुरू नहीं किए हैं। कॉमर्शियल जगहों पर शाम के बाद जो गाडिय़ां दौडऩी थीं, उनमें भी कोताही बरती जा रही है। लोगों का आरोप है कि न जनप्रतिनिधि उनकी बात सुनने को तैयार हैं, न मनपा अधिकारी।