कोरोना के दौरान डॉक्टरों के साथ-साथ नर्सिंग स्टाफ ने कंधे से कंधा मिलाकर संक्रमित मरीजों के इलाज में अहम भूमिका निभाई है। पिछले पन्द्रह माह से कोरोना मरीजों के इलाज में जुड़े नर्सिंग स्टाफ की विभिन्न मांगों को लेकर राज्य सरकार ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं किया है। राज्य में 18 मई को नर्सिंग स्टाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतरे थे। लेकिन सरकार ने कुछ समय देने की बात कहते हुए हड़ताल खत्म करवा दी थी। 15 दिन से अधिक का समय बीत चुका है। अब तक सरकार की ओर से नर्सिंग स्टाफ के हित में निर्णय नहीं किया है। दूसरी तरफ, राज्य सरकार ने मेडिकल, आयुर्वेेदिक, डेंटल, होमियोपैथिक और फिजियोथैरेपी में स्टाइपेंड बढ़ाने का निर्णय किया है। मेडिकल टीचर्स की मांगें भी स्वीकार हुई।
यूनाइटेड नर्सिस फोरम ने ग्रेड पे, विशेष भत्ता, नर्सिंग विद्यार्थियों का स्टाइपेंड बढ़ाने, आउट सोर्स और कॉन्ट्रेक्ट प्रथा के तहत भर्ती बंद करने और उचित मासिक वेतन, बदली, पदोन्नति में देरी समेत अन्य कई मांगें रखी है। 18 मई और 25 मई को दो बार बैठक होने के बाद सरकार ने 10 दिन में मांगे स्वीकार करने का आश्वासन दिया था। नर्सिंग स्टाफ ने शोषण का आरोप लगाते हुए अब 14 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है।