scriptइंफार्मेशन विदआउट कन्फर्मेशन देश के लिए घातक- नायडू | information without confirmation is fatal to the country- Naidu | Patrika News

इंफार्मेशन विदआउट कन्फर्मेशन देश के लिए घातक- नायडू

locationसूरतPublished: Mar 05, 2021 08:59:24 pm

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पुष्टि के साथ सामने आई सूचना से बड़ा हथियार नहीं है, सरकार व्यापार नहीं करती बल्कि व्यापार के लिए अनुकूल परिस्थितियां तैयार करती है

इंफार्मेशन विदआउट कन्फर्मेशन देश के लिए घातक- नायडू

इंफार्मेशन विदआउट कन्फर्मेशन देश के लिए घातक- नायडू

सूरत. देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि सूचना बड़ा हथियार हो सकती है यदि वह पुष्टि के साथ सामने लाई जाए। इंफार्मेशन विदआउट कन्फर्मेशन देश के लिए घातक है। निजीकरण पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार कारोबार नहीं करती बल्कि कारोबार के लिए बेहतर अवसर मुहैया कराती है। इंफ्रास्टक्चर, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर फोकस करती है। हम अपने विकास के लिए समाज से जो कुछ भी हासिल करते हैं, समय आने पर उसे समाज को वापस देना चाहिए। उन्होंने भ्रष्टाचार कर दूसरे देशों में भाग जाने वाले लोगों के प्रत्यर्पण को बेहतर बनाने की जरूरत बताई।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू शुक्रवार को सूरत में कारोबारियों के साथ संवाद के दौरान बोल रहे थे। दक्षिण गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से सरसाणा स्थित एग्जिबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में उद्यमियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं राजनीति में नहीं हूं, इसलिए राजनीति पर कोई बात नहीं करता। देश के अलग-अलग इलाकों में जाकर वहां की स्थिति को समझता रहता हूं। देश कैसे आगे बढ़े इस पर लोगों के साथ चर्चा करता हूं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति राजीनति में हो या संवैधानिक पद पर, वाणिज्य, व्यापार या समाज के क्षेत्र में हो, नेतृत्व कर रहा है तो उसे लोगों से मिलते रहना चाहिए। नए विचारों का स्वागत करना चाहिए। देश की 65 फीसदी आबादी 35 से कम और आधी आबादी 25 से कम उम्र की है। युवा शक्ति को देश के विकास में अपना योगदान करना चाहिए। विभिन्न संस्थाओं को देश के विकास के लिए काम करना चाहिए।
सूचना सिस्टम पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आज के दौर में सूचनाएं बगैर पुष्टि के ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इंफार्मेशन विदआउट कन्फर्मेशन देश के लिए घातक है। यदि पुष्टि के बाद सूचना सामने आए तो उससे बड़ा हथियार दूसरा नहीं है। सूचना को पुष्टि करने के बाद ही आगे बढ़ाना चाहिए। निजीकरण के मुददे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार व्यापार नहीं करती, व्यापार को प्रोत्साहित करती है। देश में कारोबार के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराती है। सरकार का काम कारोबार में आ रही समस्याओं को समझना और उन्हें दूर करना है। सरकार लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर काम करती है। मौजूदा सरकार यही कर रही है। डिजिटाइजेशन से सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लोगों तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति ने अपने विकास के लिए समाज से जो लिया है, समय आने पर समाज को वापस करना चाहिए।
मजबूत हुई है पहचान

वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति पर उन्होंने कहा कि देश की दुनिया में पहचान मजबूत हुई है। देश पहले भी विश्वगुरु था, लेकिन बाहर से आए आक्रांताओं ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई। आजादी के बाद हमने फिर अपनी पहचान दुनिया में बनाई है। अब लोग भारत के साथ कारोबार करना चाहते हैं, निवेश करना चाहते हैं। रिफार्म, परफार्म और ट्रांस्फार्म पर काम करने की जरूरत है।
कोरोना से बेहतर तरीके सेे निपटा भारत

नायडू ने कहा कि कोरोना से निपटने में भारत दुनिया के दूसरे देशों से बेहतर रहा है। यह संभव हुआ हम भारतीयों के रहन-सहन और काम करने की संस्कृति के कारण। यूरोपियन देश इसमें कैसे पिछड़ गए, यह उनके लिए शोध का विषय है। कोरोना के समय देश में कृषि उत्पादन चार फीसदी बढ़ा जबकि दूसरे सेक्टर निराशाजनक प्रदर्शन कर रहे थे। किसान, चिकित्सक, नर्स, सेनेटरी वर्कर, सुरक्षा में लगे लोगों और अन्य समाज सेवियों ने देश को कोरोना से लडऩे में बड़ी मदद की।
अच्छा स्वास्थ्य है कुंजी

स्वास्थ्य पर फोकस करते हुए उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए लोगों को योगा, साइकिलिंग, मेडिटेशन समेत रोजाना एक्सरसाइज पर ध्यान देना चाहिए। लोगों को अपनी फूड हैबिट्स भी सुधारनी चाहिए। खाद्य संस्कृति पर पाश्चात्य प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर खराब असर डालता है। उन्होंने आइआइटी के छात्रों के साथ हुए संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि एक जगह मुझसे पूछा था कि इंस्टेंट फूड का क्या विकल्प है। मैने बताया कि फूड इंस्टेंट नहीं हो सकता। उसे सही तरीके से पकाया जाना जरूरी है। इंस्टेंट फूड शरीर को कई सारी बीमारियां दे जाता है। मोबाइल एडिक्शन को भी उन्होंने स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताया।
आगे बढ़ रहा देश

देश की जीडीपी लगातार बेहतर हो रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना के बाद हमारी इकोनॉमी बाउंस बैक करेगी। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हीरा टैक्सटाइल, को-ऑपेरटिव सेक्टर बेहतर कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है। दक्षिण गुजरात में शिक्षा पर बेहतर काम हो रहा है। अधिक से अधिक सेंटर फॉर एक्सीलेंस यहां हैं और नए आ रहे हैं।
गुजराती में शुरू किया संबोधन

उपराष्ट्रपति ने अपना संबोधन गुजराती में शुरू किया और उसके बाद अंग्रेजी में अपनी बात कही। बीच-बीच में वे हिंदी में भी बोले। राजनीति पर कुछ भी बोलने से बचे। उन्होंने कहा भी कि मैं अब सीआर पाटिल की पार्टी में नहीं हूं, संवैधानिक पद पर हूं और इसकी गरिमा के तहत ही अपनी बात रखूंगा। सूरत के विकास को देशभर के लिए पॉजिटिव स्टोरी बताया। उन्होंने कहा कि गुजराती जहां जाते हैं वहां अपनी खास पहचान बनाते हैं। को-ऑपरेटिव मूवमेंट पर उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन सामाजिक हितों की संरक्षा के लिए होना चाहिए। को-ऑपरेटिव में हैल्दी पॉलिटिक्स होनी चाहिए। कुछ गलत लोगों ने इसकी छवि को खराब करने का काम किया है। विभिन्न संगठनों और संस्थाओं को इस पर नजर रखनी चाहिए।
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