बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आते ही शुरू हो गए ट्यूशन केन्द्र
सिलवासा. शिक्षा विभाग के प्रतिबंध के बावजूद सरकारी अध्यापक ट्यूशन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कई अध्यापक विद्यार्थियों को ट्यूशन पढऩे के लिए बाध्य कर रहे हैं। बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक आते ही शहर में जगह-जगह ट्यूशन केन्द्र शुरू हो गए हैं। अध्यापकों ने सोसायटियों में किराए पर फ्लैट तथा कमरा लेकर ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया है। सुरभी बार गली, भुरकुड़ फलिया और टोकरखाड़ा में ट्यूशन के सर्वाधिक केन्द्र चल रहे हैं।
बोर्ड परीक्षा नजदीक होने से ट्यूशन केन्द्रों पर विद्यार्थियों की भीड़ रहने लगी है। शिक्षा विभाग की ढिलाई से अध्यापकोंं के ट्यूशन क्लासेस पर रोक नहीं है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए पूर्व शिक्षा निदेशक सेजू कुरूविल्ला ने दो वर्ष पहले सरकारी अध्यापकों के प्राइवेट शिक्षण पर रोक लगाई थी। विद्यार्थियों का कहना है कि शिक्षा अधिकारियों की अरुचि से ट्यूशन केन्द्र धड़ल्ले से चल रहे हैं। ट्यूशन केन्द्रों पर अध्यापक प्रति विषय कोर्स के 15 से 20 हजार रुपए लेते हैं। विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों को ट्यूशन पढऩे के लिए अध्यापक अधिक उकसाते हैं। ट्यूशन नहीं पढऩे पर बच्चों को प्रायोगिक परीक्षाओं में कम अंक देने एवं फेल करने की चेतावनी दी जाती है।
सिलवासा. शिक्षा विभाग के प्रतिबंध के बावजूद सरकारी अध्यापक ट्यूशन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कई अध्यापक विद्यार्थियों को ट्यूशन पढऩे के लिए बाध्य कर रहे हैं। बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक आते ही शहर में जगह-जगह ट्यूशन केन्द्र शुरू हो गए हैं। अध्यापकों ने सोसायटियों में किराए पर फ्लैट तथा कमरा लेकर ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया है। सुरभी बार गली, भुरकुड़ फलिया और टोकरखाड़ा में ट्यूशन के सर्वाधिक केन्द्र चल रहे हैं।
बोर्ड परीक्षा नजदीक होने से ट्यूशन केन्द्रों पर विद्यार्थियों की भीड़ रहने लगी है। शिक्षा विभाग की ढिलाई से अध्यापकोंं के ट्यूशन क्लासेस पर रोक नहीं है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए पूर्व शिक्षा निदेशक सेजू कुरूविल्ला ने दो वर्ष पहले सरकारी अध्यापकों के प्राइवेट शिक्षण पर रोक लगाई थी। विद्यार्थियों का कहना है कि शिक्षा अधिकारियों की अरुचि से ट्यूशन केन्द्र धड़ल्ले से चल रहे हैं। ट्यूशन केन्द्रों पर अध्यापक प्रति विषय कोर्स के 15 से 20 हजार रुपए लेते हैं। विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों को ट्यूशन पढऩे के लिए अध्यापक अधिक उकसाते हैं। ट्यूशन नहीं पढऩे पर बच्चों को प्रायोगिक परीक्षाओं में कम अंक देने एवं फेल करने की चेतावनी दी जाती है।