REAL HERO : लॉकडाउन में इस LADY IPS OFFICER ने परिवार की तरह रखा PUBLIC का ध्यान
- आईपीएस सरोज कुमारी को ‘महिला कोविड योद्धाओं-वास्तविक हीरो’ सम्मान
- राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा लॉकडाउन में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दिया गया
- गुजरात से चुनी गई एक मात्र महिला पुलिस अधिकारी, वडोदरा में दी थी सेवाएं

सूरत. राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा सूरत की डिप्टी पुलिस आयुक्त व आईपीएस अफसर सरोज कुमारी को ‘महिला कोविड योद्धाओं- वास्तविक हीरो’ अवार्ड प्रदान किया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग 29 वें स्थापना दिवस पर 31 जनवरी को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने उन्हें अवार्ड से सम्मानित किया।
इस मौके पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रतनलाल कटारिया व आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा भी मौजूद रही। देश भर में से पुलिस, स्वास्थ्य और स्वच्छता तीन श्रेणियों में महिला कोरोना यौद्धाओं को चुना गया था।
पुलिस श्रेणी में सरोज कुमारी गुजरात से एक मात्र महिला पुलिस अधिकारी है। जिन्होंने यह सम्मान हासिल किया। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वह वडोदरा में डीसीपी पुलिस मुख्यालय के पद पर तैनात थी।
लॉकडाउन के दौरान उन्होंने विभिन्न इलाकों में जरुरतमंदों के लिए रात दिन सक्रिय रह कर ‘पुलिस किचन’ के जरिए भोजन की व्यवस्था की। जिसमें ड्युटी के बाद स्वयं महिला पुलिसकर्मी सेवा देकर भोजन तैयार करती थी।
कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत सीनीयर सिटीजन्स के लिए ‘वरिष्ठ निर्भयम सैल’ का गठन कर हेल्पलाइन शुरू की। जिसमें पुलिस अकेले रहने वालों की जरुरतें पुरी करती थी। अकेले व हताश लोगों की उम्मीद बनी।
एमएस यूनीवसिर्टी में मनोविज्ञान के प्रोफेसरों की मदद लेकर उनकी काउन्सलिंग की व्यवस्था की। करोना काल में पुलिस परिवारों की सुरक्षा के लिए सेनेटाइजर,पीपीई किट, मास्क, फेस शील्ड, दवाओं की व्यवस्था की थी।
इस सम्मान को लेकर सरोज कुमारी ने पत्रिका ने बातचीत में बताया कि जितनी खुशी मुश्किल समय में लोगों की मदद करने में हुई थी उतनी ही खुशी यह सम्मान पाने पर भी हो रही है।
नाबालिगों के यौन उत्पीडऩ के खिलाफ लड़ रही है राजस्थान की बेटी
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिढ़ावा तहसील के बुडानिया गांव की बेटी सरोज कुमारी सरकारी स्कूल में पढ़ कर आईपीएस अधिकारी बनी है। लंबे समय से नाबालिगों के यौन उत्पीडऩ के खिलाफ ‘ स्पर्श की समझ ’ अभियान भी चला रही है।
जिसके तहत मासूमों को स्पर्श (गुड टच, बैड टच) की समझ करवाई जाती है। उन्हें यह भी समझाया जाता है कि बैड टच की स्थिति में उन्हें क्या करना है। इसके लिए वे अपनी टीम के साथ मिलकर जगह जगह जागरुकता कार्यक्रम कर रही है।
STORY BY : - दिनेश एम.त्रिवेदी

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