जन्म से हाथ होते हुए भी हाथों का उपयोग नहीं कर पाई दिव्यांग सैफल जोगाणी की शिक्षा पाने की कहानी एक मिसाल है। बचपन में स्कूल नहीं गई सैफल को शिक्षा की ललक थी। इसके कारण उसने हाथों के अभाव में अपने पैरों को अपना सहारा बनाया। वहीं, उसकी माता ने भी उसे आगे बढऩे एवं पढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। इसके कारण सैफल ने सीधे कक्षा 7 में प्रवेश लेकर अच्छा प्रदर्शन किया था। बाद में कक्षा नौवीं में प्रवेश के समय माता-पिता हार चुके थे और उसे आगे पढऩे से रोकना चाहते थे, लेकिन सैफल की इच्छा के आगे विवश हो गए। उसी दौरान नगरपालिका संचालित नवसारी नगरपालिका हाइस्कूल के आचार्य ने सैफल और उसके परिवार की मुश्किल समझी और उन्हें हौंसला दिया। साथ ही सैफल को स्कूल में प्रवेश देकर उसके पढऩे की सारी व्यवस्थाओं का भी ध्यान रखा। खास कर सैफल को वर्गखंड में नीचे बैठने की विशेष व्यवस्था कर दी। इसके परिणाम स्वरूप सैफल ने दसवीं की परीक्षा पास की और अब 12वीं सामान्य प्रवाह में परीक्षा दे रही है। शुक्रवार को सैफल जोगाणी का प्रथम इतिहास विषय का पेपर नवसारी से सटे चोवीसी गांव स्थित चोवीसी हाईस्कूल में था। दिव्यांग सैफल को पैरों से परीक्षा देते देख शाला के निरीक्षक और आचार्य भी गौरवान्वित हुए।