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सूरत

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के प्रभावितों को जीका डेलीगेशन ने सुना

नवसारी व वलसाड के प्रभावित किसानों ने खुलकर रखी अपनी बात

सूरतDec 07, 2018 / 10:03 pm

Sanjeev Kumar Singh

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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के प्रभावितों को जीका डेलीगेशन ने सुना

नवसारी.

भारत सरकार के महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को खरबों की आर्थिक सहायता देने वाली जापान इंटरनेशनल कोर्पोरेशन एजेन्सी (जीका) से की शिकायतों के बाद शुक्रवार जीका डेलीगेशन नवसारी के आमडपोर गांव पहुंचा। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावित किसानों के साथ बैठकर उनकी समस्याओं को सुना। बैठक में जीका डेलीगेशन से किसानों ने मानवता, पर्यावरण व सामाजिक असरों को सरकार के नजरअंदाज किए जाने के आरोप लगाए। ढाई से तीन घंटे तक जीका के सीईओ ने नवसारी व वलसाड के किसानों को शांति से सुनने के बाद उनकी समस्याओं का सही निराकरण के प्रयास की आशा व्यक्त की।

भारत सरकार द्वारा अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन दौडाने हेतू जापान से करार किया है। भारत सरकार के साथ विश्व में कई देशों में आर्थिक सहायता देने वाली जापान की जापान इंटरनेशनल कोर्पोरेशन एजेन्सी (जीका) बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम करेगी। जीका भारत सरकार को 88 हजार करोड रुपए की आर्थिक सहायता देगी। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को क्रियान्वित करने के लिए गुजरात सरकार ने किसानों की जमीन संपादित करने के प्रयास शुरू किए है। लेकिन सरकार ने किसानों व असरग्रस्तों को कितना मुआवजा मिलेगा उसकी स्पष्टता नहीं की है। जिसके चलते किसानों ने सरकार द्वारा जमीनों पर हो रहे कार्य का विरोध कर काम को रोका।
इस बीच गुजरात के 23 किसान संगठन व 200 से अधिक किसानों ने व्यक्तिगत रूप से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में याचिकाएं दी है, जो अभी लंबित है। इस बीच दक्षिण गुजरात के किसानों के द्वारा जीका को भी ई-मेल से कई शिकायतें की गई। जीका व किसानों के बीच हुए वार्तालाप व शिकायतों को ध्यान में रखते हुए जीका के सीईओ कत्सु मत्सु मोटो व उनकी टीम शुक्रवार से दो दिनों के लिए दक्षिण गुजरात के दौरे पर है।
शुक्रवार दोपहर जीका डेलीगेशन ने नवसारी के आमडपोर गांव के प्रभावित किसान की आमबाडी का निरीक्षण किया। साथ ही वहीं पर नवसारी व वलसाड जिले के असरग्रस्त किसानों व जिनके मकान जाने वाले है उनको सुना। किसानों की ओर से गुजरात हाईकोर्ट के वकील आनंद याज्ञिक ने मध्यस्थी के रूप में जीका अधिकारियों के साथ बात की। जीका के सीईओ मोटो ने भी शांतिपूर्वक एक के बाद एक सभी किसानों की समस्याओं को सुना। जिसमें खासकर सरकार के द्वारा मुआवजा तय नहीं होने की बात मुख्य रही।
वहीं गणदेवी के धनोरी गांव में पुलिस बल के साथ पहुंचे सरकारी अधिकारियों ने किसानों को धमकाया था। किसान जयेश नायक ने जीका अधिकारियों के सामने अन्य बातें भी रखी। वहीं जीका के सीईओ ने एक्सप्रेस वे और बुलेट ट्रेन में सबसे ज्यादा किस प्रोजेक्ट में मुआवजा मिलेगा उसका भी तुलनात्मक सवाल किया। जिसमें किसानों ने कहा कि बुलेट ट्रेन में ज्यादा मिलेगा, लेकिन हाईकोर्ट में एक्सप्रेस वे का केस चल रहा है, अगर हाईकोर्ट कोई फैसला सुनाता है, तो उसका मुआवजा बुलेट ट्रेन से कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा।
ढाई से तीन घंटों तक शांति से सुनने के बाद जीका अधिकारियों ने जिनके घर बुलेट ट्रेन में जानेवाले है, उन घरों का भी निरीक्षण किया। जिसके बाद मामले में सकारात्मक निरकारण लाने की आशा व्यक्त की।

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